ज्योति मौर्या की राह पर अब सविता

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पति ने कर्ज लेकर पढ़ाया, नौकरी मिलते ही कहा- तुम काले हो...हमारा स्टेट्स नहीं मिलता
कानपुर। उत्तर प्रदेश में कानपुर देहात में भी प्रयागराज के आलोक मौर्या और ज्योति मौर्या जैसा मामले सामने आया है। इसमें भी शादी, नौकरी, बेवफाई और फिर धमकी वाले हालात देखने को मिल रहे हैं। पत्नी की लगन देख उसे पढ़ा-लिखा कर काबिल बनाने का सपना देखने वाला पति आज दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर है। पति, पत्नी की पढ़ाई में लिए गए कर्ज की भरपाई मजदूरी से करने को मजबूर है। इसके चलते परिवार परेशान है और आस लगाए बैठा है कि किसी तरह बेटे का परिवार पहले की तरह हरा-भरा हो जाए। साथ ही, बहु घर वापस आ जाए। बता दें कि प्रयागराज के आलोक मौर्या के बाद अब कानपुर देहात के अर्जुन सिंह का नाम भी जुड़ गया है।
जानकारी के अनुसार, कानपुर देहात के तहसील मैथा क्षेत्र के रविन्द्र पुरम गांव के रहने वाले अर्जुन की शादी 2017 में बस्ती जिले की रहने वाली सविता मौर्या से हुई थी। शादी के बाद सविता मौर्या में पढ़ाई की लगन देख अर्जुन ने सविता को पढ़ा लिखा कर काबिल बनाने का फैसला किया। नर्सिंग कराने के लिए सविता का दाखिला मंधना में बने रामा कॉलेज ऑफ नर्सिंग एंड पैरा मेडिकल साइंस में करा दिया। साथ ही, खुद मजदूरी कर पैसों को इकट्ठा करने लगा। पढ़ाई पूरी होने के बाद सबसे पहले उसे दिल्ली में नौकरी मिली। सविता की नौकरी चल ही रही थी कि अर्जुन को कुछ शक हुआ।
इसके बाद अर्जुन ने सविता को वापस बुला लिया और फिर तमाम कोशिशों के बाद सविता को कानपुर देहात के रसूलाबाद के नारखुर्द में बने स्वास्थ्य केंद्र में लगवाया। यहां उसे अच्छी खासी पेमेंट मिलने लगी। अब सविता के तेवर और मिजाज बदलने लगे। अर्जुन ने आरोप लगाते हुए बताया कि सविता उससे दूरी बनाने लगी। वो कहने लगी तुम काले हो हमारा तुम्हारा स्टेट्स मेल नहीं करता है। इसके बाद विवाद शुरू हो गया। अर्जुन ने न्याय की गुहार लगाना शुरू किया, जिससे बिगड़े हालात सुधर सके। कर्ज में डूबे अर्जुन अभी भी पढ़ाई में के दौरान लिए गए कर्ज को भर रहा है और घर पर पैसा मांगने पहुंचते है। पीड़ित अर्जुन ने बताया क वह पत्नी को पढ़ाने की ललक में कर्ज में डूब गया और तकलीफ भरी जिंदगी गुजार रहा है। उन्होंने बताया जो मेरे साथ हुआ है, उसके बाद कोई भी व्यक्ति शादी के बाद अपनी पत्नी को नहीं पढ़ाएगा। महिला को सिर्फ घर की जिम्मेदारियों का बोझ उठाना पड़ेगा, जैसा पुराने समय मे होता रहा है।

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