महिला कर्मचारी के आरोप से छूटे डीपीआरओ के पसीने

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कर दिया बहाल
एक महीने पहले किया था बर्खास्त
मैनपुरी। जिला पंचायत राज विभाग में इन दिनों नियम से नहीं, साहब की मर्जी से आदेश किए जा रहे हैं। ऐसा ही एक आदेश हाल ही में डीपीआरओ ने जारी किया है। डीपीआरओ ने एक महिला कर्मचारी को कार्य में लापरवाही समेत अन्य आरोप लगाते हुए एक महीने पहले बर्खास्त कर दिया था। महिला कर्मचारी ने डीपीआरओ पर रात में घर आने के लिए दबाव बनाने के आरोप लगाए थे। अभी जांच शुरू भी नहीं हो पाई थी कि डीपीआरओ ने महिला कर्मचारी को बहाल कर दिया है। डीपीआरओ अविनाश चंद ने 20 मई 2023 को विकास खंड स्तर पर तैनात एक महिला कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया था। बर्खास्तगी आदेश में काम में लापरवाही करना, बैठकों में प्रतिभाग नहीं करने समेत अन्य कई आरोप लगाए थे। बाद में पांच जून को महिला कर्मचारी ने जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह से मिलकर शिकायत की थी। इसमें डीपीआरओ पर रात में फोन कर घर आने के लिए दबाव बनाने की बात कही थी। बात नहीं मानने पर बर्खास्त करने के आरोप लगाए थे। ये भी कहा था कि उन्हें कार्य में लापरवाही के संबंध में न तो कोई नोटिस दिया गया और न ही चेतावनी दी गई। मामले में डीएम ने जांच के आदेश दिए थे। इसी बीच डीपीआरओ ने फिर अपनी मनमानी चलाई और 15 दिन बाद ही 21 जून को संबंधित महिला कर्मचारी की बहाली का आदेश जारी कर दिया। इससे पहले भी कई बार महिलाओं ने डीपीआरओ पर गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायतें कीं, लेकिन उनकी जांच किए बिना ही उन्हें दबा दिया गया।
डीपीआरओ अविनाश चंद द्वारा 21 जून को जारी महिला कर्मचारी के बहाली आदेश में भी फर्जीवाड़ा किया गया। इसमें बर्खास्तगी के आदेश का हवाला देते हुए लिखा गया कि महिला कर्मचारी ने प्रत्यावेदन में कहा है कि वह बैठकों में समय से प्रतिभाग करने के साथ ही अपने कार्यों का भी निर्वहन करेंगी। ऐसी लापरवाही वे दोबारा नहीं करेंगी, उन्हें बहाल कर दिया जाए। वहीं हकीकत ये है कि महिला कर्मचारी ने अपने प्रत्यावेदन में लिखा था कि वह पूरी ईमानदारी के साथ कार्य कर रहीं थीं। उन्हें गलत तरीके से बिना नोटिस के बर्खास्त कर दिया गया। ऐसे में बर्खास्तगी आदेश 20 जून 2023 के पहले की स्थिति बहाल की जाए। लेकिन डीपीआरओ ने आदेश में प्रत्यावेदन को भी अपने हिसाब से बदल दिया।
जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए अपर जिलाधिकारी रामजी मिश्र को नामित किया था। लेकिन 15 दिन बीतने के बाद भी अब तक जांच शुरू नहीं हो सकी। अब महिला कर्मचारी के गंभीर आरोपों के बाद भी जांच क्यों नहीं शुरू हो सकी इसका जवाब किसी के पास नहीं है। लेकिन लोगों के बीच इस बात की चर्चा जोरों पर हैं। डीपीआरओ अविनाश चंद से जब मामले में उनका पक्ष लेने के लिए संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका। न तो वे अपने कार्यालय में मौजूद मिले और न ही उन्होंने फोन उठाया। उच्चाधिकारी भी मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।

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