बज रहे थे मंगल गीत, फिर गूंजी चीत्कार

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बोलेरो के उड़े परखच्चे, चालक समेत दो की लाश गाड़ी काटकर निकाली
बांदा। काल बन गई रफ्तार। हंसी ठिठोली अचानक मातम में बदल गई। चीख पुकार ऐसी की बांदा जिले का बदौंसा थाना क्षेत्र का तुर्रा गांव का धोबिनपुरवा थर्रा उठा। ग्रामीण रात के समय सोते से जग गए। धड़ाम की आवाज के साथ बोलेरो के परखच्चे उड़ गए। चालक और पास की सीट पर बैठे दूसरे मृतक का शव बोलेरो का हिस्सा ग्लाइंडर से काटकर निकलना पड़ा। ग्रामीण मंजर देख सहम गए। कुरुंहू गांव से लौटते समय बोलेरो (मालिक) राजीव तिवारी खुद चला रहे थे। उनकी बगल वाली सीट पर कैलाश तिवारी बैठे थे। पीछे वाली सीट पर देशराज द्विवेदी, लक्ष्मी द्विवेदी, मोहित, देवीशरण और शंकर बैठे थे। स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक चालक तेज स्पीड में गाड़ी चला रहे थे। तभी यह हादसा हो गया। चालक सीट बेल्ट भी नहीं लगाए था। हादसे की सूचना मिलते ही जिसे देखो जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर की तरफ दौड़ पड़ा। सीएचसी अतर्रा में मौजूद बोलेरो मालिक राजीव के भतीजे बऊवा ने बताया कि मृतक राजीव के पास लाइसेंसी रिवाल्वर थी। वह हमेशा साथ लेकर चलते थे। घटनास्थल पर लाइसेंसी रिवाल्वर नहीं मिला है। मृतक राजीव तिवारी और कैलाश तिवारी पारिवारिक सदस्य हैं। तिंदवारी थाना क्षेत्र के गोधनी गांव निवासी मृतक राजीव तिवारी पेशे से किसान थे। उनके 20 बीघा खेती है। वह बोलेरो भी चलवाते थे। घर में पत्नी रानी तिवारी, तीन पुत्रियां नीतू, शालू, खुशी हैं। इनमें नीतू और शालू की शादीशुदा हैं। एक पुत्र शिवाकांत तिवारी है। मृतक देवराज द्विवेदी पेशे से किसान थे। उनके 15 बीघा जमीन है। भतीजे भूपेंद्र ने बताया कि घर में पत्नी सुनीता, तीन पुत्र रोहित, मोहित, सोहित हैं। पांच पुत्रियां शिखा, गुड़िया, वंदना, अंजलि व अंशिका हैं। इनमें शिखा, गुड़िया और वंदना शादीशुदा हैं। कैलाश तिवारी के छह बीघा जमीन है। पत्नी बालकुमारी का कैंसर की बीमारी के चलते एक साल पहले निधन हो चुका है। दो पुत्र कपिल तिवारी और दीपक तिवारी हैं। दो पुत्रियां मंजू और खुशबू हैं। उनके घर में एक साल पहले आग भी लग चुकी है। गोधनी गांव के मृतक लक्ष्मी द्विवेदी पेशे से किसान थे। उनके 10 बीघा जमीन है। घर में पत्नी सुशीला, दो पुत्र अशोक और हरीशंकर सूरत (गुजरात) में रहकर कमाते हैं। एक पुत्री रेखा की शादी हो चुकी है।
बोलेरो हादसे में चार मृतकों के पंचनामा भरने में भी काफी देरी हुई। दोपहर दो बजे तक पंचनामा नहीं भरे जाने से बाडी मोर्चरी हाउस में रखी रहीं। बाद में उच्चाधिकारियों तक बात पहुंचने पर शवों को जिला अस्पताल से पोस्टमार्टम हाउस रवाना किया गया। पंचनामा में हुई देरी से परिजनों में रोष रहा। गोधनी गांव में हादसे की सूचना परिजनों को सुबह करीब नौ बजे मिली। इससे शादी की खुशियां काफूर हो गईं। घर के ज्यादातर पुरुष बारात गए थे, जो भी पुरुष थे, हादसे की सूचना पर सब बांदा चले गए। खाना जितना बना था, उतने में ही किसी तरह से दुःखी मन से सुहागिनों ने मंडप के नीचे खाना खाकर खाने की रस्में की। बरात विदा होकर गोधनी गांव आई तो बहू अंदर ले जाने से पूर्व की सभी रस्में भारी मन के साथ की गईं। रास्ते में अन्ना मवेशी के आ जाने से अनियंत्रित हुई बोलेरो के पेड़ में टकरा जाने से एक ही गांव के चार लोगों की मौतों से गांव में मातम छा गया। हर ओर अन्ना मवेशियों से हुई मौतों के बारे में चर्चाएं रहीं।

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