आजमगढ़ : जिले में भी रही अतीक-अशरफ जैसी कई बदनाम जोड़ियां

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कुछ बने स्वर्गवासी तो कुछ अब फेर रहे माला

रिपोर्ट : वेदप्रकाश सिंह लल्ला

आजमगढ़। अभी हाल ही में देश और प्रदेश में सुर्खियां बटोर चुके प्रयागराज जिले के कुख्यात माफिया अतीक अहमद एवं उसके भाई अशरफ की पुलिस अभिरक्षा में हुए हाईप्रोफाइल लाइव मर्डर की घटना ने देश और प्रदेश की मीडिया के साथ ही राजनैतिक गलियारे में भी हलचल मचा दिया। राजनैतिक सरपरस्ती के दम पर अपराध जगत में लंबे समय तक अपना वर्चस्व कायम रखते हुए इन अपराधी भाईयों ने कभी सोचा भी नहीं रहा होगा कि मीडिया के सामने अपना साक्षात्कार देते समय दोनों भाई छुटभैए अपराधियों के हाथों मारे जाएंगे। इस घटना ने पुलिस और प्रशासन के साथ ही वारदात की दुनिया और राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। खैर बुरे काम का अंजाम भी बुरा होता है। आज हम अपने जनपद में अपराध जगत में कुख्यात रही जोड़ियों के बारे में प्रकाश डाल रहे हैं। अपने जिले में आजादी के बाद शहर क्षेत्र के कालीनगंज मोहल्ले में रहने वाली तवायफ जीतन बाई की चाकू मारकर की गई हत्या पर आपका ध्यान ले जाना चाहते हैं जहां दो दबंग गुटों में वर्चस्व को लेकर तवायफ की हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद गिरोह बनाकर अपराध करने वाले सरगना और उनके दाहिने हाथ कहे जाने वाले जोड़ीदारों पर आपका ध्यान आकृष्ट कराते हैं। जिले में यादव जाति के नेऊर-ध्यान के आलावा फरमान जारी कर डकैती व हत्या की अनगिनत वारदातों के लिए बदनाम दीना- बुझारत की जोड़ी ने तब के जमाने में सुर्खियां बटोर चुके थे। नेऊर-ध्यान के बीच शुरू हुई अनबन के बाद दोनों गुट अलग हो गए और उनके बाद दोनों गिरोह की कमान उनके बच्चों ने संभाला और ध्यान खलीफा के पुत्र दुर्गा- माता प्रसाद तथा नेऊर के पुत्र रामप्रताप यादव ने अपने जोड़ीदार अंगद यादव के साथ अपराध जगत में उतर गए। हालांकि दोनों गिरोह के मुखिया बाद में राजनीति का लबादा ओढ़ लिया और विधायक तथा मंत्री बनने तक का सफर तय किया। शहर क्षेत्र में सत्तर एवं अस्सी के दशक में मोहन सेठ-कन्हैया सेठ, ब्रम्हदेव यादव और बसंत सिंह, धर्मू सिंह- ओंकार पाठक, ओमप्रकाश- विनोद के साथ ही फूलपुर जैसे ग्रामीण क्षेत्र से रमाकांत-उमाकांत की जोड़ी ने भी अपने कुकृत्यों के दम पर बड़ा नाम कमाया। इन सबके बीच कुछ और कुख्यात जोड़ियों के बारे में बताते चलें कि भाड़े पर हत्या करने के लिए बदनाम लौटन-पंचम, रुदरी निवासी अशोक-भवानी, अखिलेश- हरिश्चंद्र, साधू- रमायन, छोटकाई- बड़काई, नरसिंह- रवीन्द्र, सच्चू -विमल, मुकेश -मित्तल, कुंटू -गिरधारी के नाम से यह जोड़ियां अपने समय में अपराध की दुनिया में खूब नाम कमाया। इसमें कुछ तो असमय काल के गाल में समा गए और कुछ आज भी बुढ़ापे की वजह से इस दुनिया से अपना मोह भंग कर चुके हैं। हां एक बात और कई दशक पूर्व रूपहले पर्दे पर एक फिल्म आई थी दस नंबरी जिसमें अपराध जगत का ही कारनामा दर्शाया गया था। यह तमगा भी अपने जिले खासकर शहर क्षेत्र के रहने वाले कपूर प्रसाद गुप्ता एलवल और मस्सू खान फराशटोला के नाम पुलिस रिकार्ड में दर्ज रहा है।

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