सपा नेता के सात मंजिला इमारत पर चला हथौड़ा

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याजदान बिल्डिंग को गिराने मुंबई से आई स्पेशल टीम
एक महीने में होगी पूरी तरह से ध्वस्त, बिना नक्शा पास कराए बनाई थी बिल्डिंग
लखनऊ। अवैध तरीके से बने याजदान बिल्डर को गिराने की कार्रवाई फिर से तेज हो गई है। शनिवार को 30 से ज्यादा लोग बिल्डर की अलग-अलग मंजिल पर हथोड़े से कार्रवाई कर रहे हैं। बीच में कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद काम रूक गया गया था। हालांकि लगी हुई रोक हट गई। ऐसे में दोबारा गिराने का काम तेज हो गया है। पहले दिन जहां ऊपरी मंजिल को गिराया गया था। वहीं, अब सभी मंजिल को गिराने का काम शुरू हो गया है। मुंबई से आई विशेष टीम याजदान बिल्डिंग को जमींदोज करने में जुटी है। यह बिल्डिंग सपा नेता फहद याजदान की है। प्रयाग नारायण रोड पर नजूल की जमीन पर इसका निर्माण साल 2015 में किया गया था। यहां एलडीए अफसरों ने नजूल की भूमि पर बन रहे अपार्टमेंट का निर्माण भी होने दिया था। यहां तक कि अपार्टमेंट का मानचित्र स्वीकृत कर दिया था। शिकायत के बाद अपनी नौकरी बचाने के लिए 2016 में एलडीए ने अपार्टमेंट को सील करा दिया। बाद में बिल्डर से 75 लाख रुपए शमन मानचित्र का भी जमा करा लिया गया। मानचित्र स्वीकृत होने के कारण इस प्रोजेक्ट को यूपी रेरा में भी पंजीकृत कर लिया गया। इस समय करीब 30 से ज्यादा लोग बिल्डिंग को हथौड़े से तोड़ रहे हैं। यहां मौजूद लोगों का कहना है कि करीब एक महीने बिल्डिंग को तोड़ने में लगेगा। बिल्डिंग के चारों तरफ एक दीवार तैयार कर दी गई है, जिससे कि कोई अंदर ना जा सके। आम लोगों की सुरक्षा के लिए भी सब को दूर रखा गया है। यहां चार फ्लैटों में खरीदार रह रहे थे। पुलिस ने उनको भी बाहर निकाल दिया है। यहां रहने वाले फैजल का कहना है कि हमने तो रेरा में प्रोजेक्ट पंजीकृत होने पर ही अपनी जीवन भर की कमाई यहां लगा दी। कुछ लोगों ने कर्जा भी लिया। इसमें एलडीए के अधिकारी भी दोषी हैं। पिछले दो साल से यह अवैध निर्माण चल रहा था। 2 बार बिल्डिंग को प्राधिकरण ने सील भी किया था, फिर भी निर्माण कार्य चलता रहा। बिल्डर ने देखते ही देखते सात मंजिला इमारत तैयार कर लिया। इसमें करीब 48 फ्लैट तैयार हैं इसमें 37 की बुकिंग भी हो चुकी है। इसमें 50 से 70 लाख रुपए में सौदा हुआ है। बताया जा रहा है कि इसकी कीमत 15 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इ समें सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों को निर्माण के दौरान लगातार पैसा पहुंचता रहा। इसकी वजह से कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन अब शासन स्तर से दबाव बन गया है तो कार्रवाई हो रही है। एलडीए में कार्यरत एक बाबू ने बताया कि इसमें एलडीए के लोगों को करीब एक करोड़ रुपए से ज्यादा का पैसा ब्लैक मनी के तौर पर दिया गया है। इसकी वजह से यह निर्माण होता रहा। पिछले दिनों एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें 800 स्क्वायर फीट के मकान के लिए करीब पांच लाख रुपए की डिमांड थी। ऐसे में इस निर्माण में एक करोड़ से ज्यादा पैसा एलडीए को गया है।

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