आजमगढ़ : दोषी आरिज खान की मौत की सजा उम्रकैद में बदली

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हाईकोर्ट के फैसले से परिवार को जगी उम्मीद
आजमगढ़ के बेगुनाह नौजवानों को बलि का बकरा बनाया गया : तलहा रशादी

आजमगढ़। दिल्ली हाईकोर्ट ने बाटला हाउस एनकाउंटर के दोषी आरिज खान को मिली फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। इससे अन्य आरोपियों में आशा की एक किरण दिखी है। हालांकि इस मामले में परिवार के लोग कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। दिल्ली पुलिस की टीम द्वारा 19 सितंबर 2008 को बाटला हाउस में किए गए एंकाउंटर में इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा शहीद हो गए थे। दो आतंकी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए थे। दो अन्य आतंकवादी सैफ मोहम्मद और आरिज खान भाग गए थे। जबकि एक आतंकी जीशान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। मुठभेड़ के बाद आतंकी आरिज नेपाल भाग गया था। वहां से 2018 में आरिज को गिरफ्तार किया गया। आरिज आजमगढ़ जनपद के बिलरियागंज का रहने वाला है। वर्तमान में उसका परिवार कोट मुहल्ले में रहता है। इस मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 8 मार्च 2021 को आरिज खान को दोषी ठहराया और 15 मार्च 2021 को मौत की सजा सुनाई। इसके साथ ही उस पर 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। निचली अदालत से मिली सजा को आरिज खान ने दिल्ली हाइकोर्ट में चुनौती दी। दिल्ली हाईकोर्ट ने आरिज को दोषी माना लेकिन गुरुवार को सुनाए गए फैसले में निचली अदालत के फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया। हाईकोर्ट द्वारा दिए गए इस फैसले से परिजनों को आशा की किरण नजर आई है। लेकिन वह इस मामले में कुछ कह नहीं रहे हैं। मुहल्ले में भी इस बात को लेकर कोई विशेष हलचल देखने को नहीं मिली। बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी करार देते हुए इसकी न्यायिक जांच की मांग को देकर लगातार धरना प्रदर्शन करने वाले उलेमा कौंसिल के प्रवक्ता तलहा रशादी ने कहा कि जितने बच्चों को फंसाया गया है वे बेगुनाह हैं। कांग्रेस के एक मंत्री को बलि का बकरा चाहिए था। उन्होंने आजमगढ़ के पढ़ने लिखने वाले बेगुनाह नौजवानों को बलि का बकरा बनाया। हाईकोर्ट ने जो फैसला दिया है उससे यह उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से हमें न्याय जरूर मिलेगा। जनपद के बेगुनाह बच्चे जयपुर की तरह बाइज्जत बरी होंगे।

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