आजमगढ़ से लेकर अमेरिका तक का सफर

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साइंटिस्ट बनकर लौटे डॉक्टर विवेकानंद यादव एवं कल्याणी यादव का गृह जनपद में हुआ स्वागत
ब्रेन कैंसर और इम्यून सेल्स पर करते हैं रिसर्च
आजमगढ़। जनपद के सरफुद्दीनपुर मोहल्ला निवासी कृष्णानंद यादव के छोटे भाई डॉक्टर विवेकानंद यादव और उनकी पत्नी कल्याणी यादव का अमेरिका से घर वापस आने पर जोरदार स्वागत किया गया। विवेकानंद यादव अमेरिका में असिस्टेंट प्रोफेसर आफ पीडियाट्रिक्स हैं और ब्रेन कैंसर पर रिसर्च करते हैं। उनकी पत्नी कल्याणी देवी यूनिवर्सिटी आफ कैंसर मेडिकल सेंटर में इम्यून सेल्स पर लैब चलाती हैं।

अमेरिका से घर लौटे वैज्ञानिक दंपति का परिजनों सहित मोहल्ले वासियों ने पुरजोर स्वागत किया। इस दौरान मीडिया से मुखातिब होते हुए डॉक्टर विवेकानंद यादव ने बताया कि उनकी शुरुआती पढ़ाई आजमगढ़ जनपद में हुई। इसके बाद उन्होंने जवाहरलाल यूनिवर्सिटी गोवा से एमएससी किया। नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस पुणे से पीएचडी की डिग्री हासिल की। पोस्ट डॉक्टरेट फैलोशिप के लिए अमेरिका गए और वहां रिसर्च वर्क शुरू कर दिया। काफी स्ट्रगल के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर बने। आज वे ब्रेन कैंसर पर रिसर्च करते हैं उनकी अगुवाई में 5 से 6 वैज्ञानिकों की टीम काम करती है। आज के युवाओं को उन्होंने संदेश दिया कि अगर उनका कुछ सपना है तो वे लगातार मेहनत करें उन्हें जरुर सफलता मिलेगी।


उनकी धर्मपत्नी डॉक्टर कल्याणी यादव ने बताया कि वह भी अमेरिका में साइंटिस्ट हैं। वह यूनिवर्सिटी आफ कैंसर सेंटर में इम्यून सेल्स पर काम करती हैं। उनकी लैब में कैंसर, कोरोना सहित विभिन्न रोगों पर इम्यून कैसे काम करता है इस पर रिसर्च की जाती है। इस दौरान उनके दो बच्चे भी हुए, इसके बावजूद भी वह अपने कैरियर पर पूरा फोकस करती हैं, जिसमें उन्हें अपने परिवार का पूर्ण रूप से सहयोग मिलता है।
डॉक्टर विवेकानंद के बड़े भाई कृष्णानंद यादव ने बताया कि जिस छोटे भाई को मैंने अपनी गोद में पाला आज उसकी कामयाबी से पूरा परिवार हर्षित है। उन्होंने सरकार से मांग किया कि ऐसी प्रतिभाओं को सरकार को सम्मानित करना चाहिए, जिससे देश के अन्य युवाओं को भी ऊर्जा मिले और वे देश का नाम रोशन करें और भारत देश विश्व गुरु बनने की श्रेणी में आगे बढ़े।

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