एसपी त्रिवेणी सिंह को गिरफ्तार करने का आदेश

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मऊ। विशेष न्यायाधीश एससी/ एसटी एक्ट हर्ष अग्रवाल ने सम्मन का तमिला होने के बावजूद साक्ष्य के लिए कोर्ट में उपस्थित न होने पर पुलिस अधीक्षक साइबर सेल सिग्नेचर बिल्डिंग पुलिस मुख्यालय कमिश्नरेट लखनऊ त्रिवेणी सिंह को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश पुलिस कमिश्नर लखनऊ को दिया है। साथही उनकी गिरफ्तारी के लिए गैरजमानतीय वारंट के साथ ही धारा 350 सीआरपीसी के तहत नोटिस भेजा है तथा त्रिवेणी सिंह पर 3 हजार रुपये हर्जा अधिरोपित करते हुए उनके वेतन से काटकर न्यायालय में जमा करने का आदेश दिया। विशेष न्यायाधीश ने मामले में सुनवाई के लिए 20 जुलाई की तिथि नियत किया है। मामला सरायलखंसी थाना क्षेत्र का है। मामले के अनुसार विशेष न्यायालय एससी/ एसटी के न्यायालय में थाना सरायलखंसी का एक मुकदमा स्टेट बनाम प्रवीण आदि अपराध संख्या 437 /1999 धारा 323, 325, 427 ,440 भादवि व धारा 3(1) 10 एससी/ एसटी एक्ट विचाराधीन चल रहा है । जिसमें मामले के विवेचक रहे तत्कालीन क्षेत्राधिकारी त्रिवेणी सिंह जो वर्तमान में पुलिस अधीक्षक साइबर सेल सिग्नेचर बिल्डिंग पुलिस मुख्यालय कमिश्नरेट लखनऊ में कार्यरत हैं, उनका साक्ष्य अंकित होना है। उन्हें न्यायालय से कई बार सम्मन भेजा गया, तामिला के बाद साक्ष्य के लिए त्रिवेणी सिंह कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए। इसे गंभीरता से लेते हुए विशेष न्यायाधीश ने उनके विरुद्ध गैर जमानतीय अधिपत्र के साथही धारा 350 सीआरपीसी की नोटिस जारी किया है। विशेष न्यायाधीश ने पुलिस कमिश्नर लखनऊ को आदेश दिया कि त्रिवेणी सिंह के वेतन से तीन हजार रुपये की कटौती कर न्यायालय में जमा करे। ताकि साक्षी के साक्ष्य प्रस्तुत न किए जाने के फल स्वरुप जो विलंब हुआ है, उसमें अभियुक्तगण की क्षतिपूर्ति हर्जे के द्वारा किया जा सके। विशेष न्यायाधीश ने अपने पत्र में लिखा कि मामला 20 वर्ष पुराना है ,जिसका निस्तारण नहीं किया जा सका है। जिसके लिए पूर्णरूपेण पुलिस विभाग व उपरोक्त साक्षी जिम्मेदार हैं। उन्होंने साक्षी त्रिवेणी सिंह के विरुद्ध गैर जमानतीय अधिपत्र के साथ ही धारा 350 सीआरपीसी की नोटिस पुलिस कमिश्नर लखनऊ को इस आशय से प्रेषित किया कि वह उन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष 20 जुलाई को प्रस्तुत किया जाना सुनिश्चित करें, जिससे साक्ष्य संकलन किया जा सके। यदि साक्षी अग्रिम नियत तिथि तक न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं आता है, तो साक्ष्य का अवसर समाप्त कर दिया जाएगा। जिसकी पूर्णरूपेण जिम्मेदारी पुलिस विभाग की होगी।

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