आजमगढ़ : नहीं रहे पहलवानी के पितामह रामबचन पहलवान

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105 वर्ष की आयु में मंगलवार को हनुमत भक्त ने ली अंतिम सांस
दिवंगत सुखदेव पहलवान के जोड़ीदार रहे
रिपोर्ट : वेद प्रकाश सिंह लल्ला
आजमगढ़। कुश्ती के दम पर जिले का नाम बढ़ाने वाले दिवंगत सुखदेव पहलवान के जोड़ीदार रहे शहर के नरौली क्षेत्र निवासी हनुमत के प्रिय भक्त रामबचन पहलवान ने सोमवार की रात 105 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। मंगलवार की सुबह उनके अंतिम यात्रा में मानो हूजूम उमड़ पड़ा था।
देश विदेश तक कुश्ती के क्षेत्र में ख्याति अर्जित कर चुके शहर के कदमघाट अखाड़ा के उस्ताद रहे स्व० सुखदेव पहलवान के जोड़ीदार पहलवानों में शामिल रहे रामबचन पहलवान ने कुश्ती के दांव-पेंच उन्हीं से सीखा और कुश्ती जगत में बड़ा नाम कमाया। उस दौर में जिले के नामचीन पहलवानों में खरपत्तू पहलवान, प्यारे पहलवान, रामधारी एवं शेखरज पहलवान की अग्रिम पंक्ति में रहे रामबचन पहलवान ने अपने समय में कई विख्यात पहलवानों को दंगल प्रतियोगिता में धूल चटाया। बताते हैं कि कई दशक पूर्व पटना में आयोजित दंगल प्रतियोगिता में नामचीन पहलवान जहूर को चारों खाने चित कर रामबचन पहलवान ने कुश्ती जगत में बड़ा नाम कमाया। उनकी दिनचर्या के बारे में बताते हुए पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त उनके 70 वर्षीय भतीजे त्रिवेणी यादव ने बताया कि लगभग साठ साल पहले जिले के देवारा क्षेत्र में गई बारात में शामिल रहे सुखदेव पहलवान से उस क्षेत्र के रहने वाले माताबदल पहलवान ने कुश्ती के लिए ललकार दिया। उस समय सुखदेव पहलवान के साथ रहे रामबचन पहलवान ने अपने बड़े पहलवान की साख बचाने के लिए माताबदल पहलवान से हाथ मिलाया और देखते ही देखते उन्हें धूल चटा दिया। यह खबर उस क्षेत्र में जंगल के आग की तरह फैली और माताबदल पहलवान की ओर से जुटे लोगों ने रामबचन पहलवान के हत्या की योजना बना ली। खैर बारात में शामिल अन्य पहलवानों ने अपने जोर के दम पर वहां जुटे लोगों को चुप रहने को मजबूर कर दिया और नारेबाजी के साथ दुल्हन लेकर बारात सकुशल वापस लौटी। अपनी प्रतिभा के बल पर रामबचन पहलवान को ईनाम स्वरूप सिंचाई विभाग में नौकरी मिली। बताते हैं कि जोर आजमाईश के लिए उन्होंने भेड़ा पाल रखा था और करीब दो साल पहले तक वह दंड बैठक एवं मुग्दल भांजते थे। दूध और बादाम के शौकीन रहे पहलवान ने कभी अपने खान पान में कोई कोताही नहीं बरती और एक माह पूर्व तक वह दूध और बादाम का सेवन करते रहे। मंगलवार को उनकी अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए। शहर के राजघाट श्मशान पर सजी उनकी चिता को उनके ज्येष्ठ पुत्र यशवंत यादव ने मुखाग्नि दी। दिवंगत पहलवान अपने पीछे दो पुत्र एवं दो पुत्रियों समेत भरा पूरा परिवार छोड़ कर पंचतत्व में विलीन हो गए। श्मशान घाट पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों में पूर्व मंत्री एवं सदर विधायक दुर्गा प्रसाद यादव, पूर्व प्रमुख साधू यादव पहलवान, हरिओम यादव, हरिकेश यादव, सुरेंद्र यादव, लव यादव, वेद प्रकाश सिंह लल्ला, संतोष चौहान, शंभू चौहान, अर्जुन चौहान आदि सहित उनके परिवार के पूरे सदस्य उपस्थित रहे।

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