आजमगढ़ : बगैर नोटिस दिए अस्थायी दुकानों पर चल रहा बुल्डोजर

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नगर पालिका के ईओ का यह कृत्य अत्यन्त निन्दनीय-दीनू जायसवाल
आजमगढ़। शहर के छोटे-मझले-बडे, स्थायी/अस्थायी सभी व्यापारी बंधु प्रशासन के परस्पर सहयोगी है लेकिन शहर के सिधारी मुहल्ला हाईडिल चौराहे पर नगर पालिका प्रशासन के अधिशाषी अधिकारी द्वारा स्वयं खड़ा होकर ठेले-ठुमचे वाले छोटे स्तर के अस्थायी व्यापारियों के रोजी-रोटी पर बगैर सूचना या नोटिस/दिए ही उनके अस्थायी दुकानों को बुल्डोजर से बेरहमी पूर्वक ढहाए जाने की कार्यवाही अत्यंत निन्दनीय हैं। ऐसे कृत्य को आजमगढ़ की जनता कभी माफ नहीं करेगी। अगर किसी तरह का कोई अतिक्रमण हो रहा है तो दुकानदारों को कम से कम दो से तीन दिन पूर्व सार्वजनिक सूचना देकर हटाया जाना न्यायोचित होता न कि उनके अस्थायी प्रतिष्ठानों को ढहाकर बलपूर्वक उनके जीवन की गाढ़ी कमाई को समाप्त किया जाना चाहिए। पूर्व नगर पालिका परिषद् की अध्यक्ष श्रीमती इंदिरा देवी जायसवाल के कार्यकाल में शहर की सभी सडकें चौड़ी हुई लेकिन एक भी व्यापारियों को कोई क्षति नहीं पहुंची, नेतृत्वकर्ता के अभाव के कारण आज व्यापारियों का नगर पालिका प्रशासन द्वारा उनके ही संवेदहनहीन सपा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष के शह पर शोषण किया जा रहा है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।
नगर पालिका प्रशासन अगर अस्थायी दुकानदारों को सूचना प्रेषित किया होता तो यही दुकानदार स्वयं प्रशासन का सहयोग करते हुए अपने अस्थायी दुकानों को हटा लेते जिससे उन्हें कोई आर्थिक नुकसान नहीं होता और समय रहते वे अपनी समुचित व्यवस्था उचित स्थान पर भी कर लेते। समाजवादी पार्टी के नवनिर्वाचित नगर पालिका अध्यक्ष अपने शह पर भाजपा सरकार के खिलाफ व्यापारियों को भड़काने का काम कर रहे है जबकि माननीय योगी आदित्यनाथ जी की सरकार व्यापारियों की सच्ची हितैषी है। रामराज्य में जनता का राज है लेकिन सपा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष के प्रभाव में आकर नगर पालिका प्रशासन गरीब व्यपारियों को परेशान करके उनके दिलों में भाजपा सरकार के खिलाफ गलत भावना को प्रेषित कर रहा है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण हैं। इसके लिए नगर पालिका प्रशासन को अपने कार्यशैली पर विचार किया जाना चाहिए। नगर में अगर अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही किए जाने की कार्यवाही किया जाना सुनिश्चित भी है तो कम से कम तीन दिन पूर्व क्षेत्र के व्यापारियों तक सार्वजनिक सूचना नियमानुसार कराया जाना ही चाहिए ताकि व्यापारी वर्ग को कम से कम क्षति पहुंचे और परस्पर सहयोग की भावना बलवती होती रहे।

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