आजमगढ़ : जिस जमीन की खातिर शहीद हुए कुर्बान, उसके लिए हम दे देंगे जान

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भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु की शहादत दिवस और लोहिया की जयंती पर खिरिया बाग से निकाला जुलूस
खिरिया बाग-आजमगढ़। भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु के शहादत दिवस और डा0 राम मनोहर लोहिया की जयंती पर खिरिया बाग से जुलूस निकाला गया. जुलूस में भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु तेरे सपनों को मंजिल तक पंहुचाएंगे, लोहिया का समाजवाद जिंदाबाद,अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट की परियोजना रद्द करो, जमीन के लुटेरों वापस जाओ, किसान एकता करता है जेल जाने से नहीं डरता है नारे लगाए गए. सुबह से ही खिरिया बाग में महिलाएं पुरुष हरे झंडे और तख्ती लेकर जुलूस के लिए इकट्ठा होने लगे.
भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया को याद करते हुए संकल्प लिया गया की जिस जमीन के खातिर शहीदों ने अपना जीवन कुर्बान कर दिया उसके लिए जान दे देंगे पर जमीन नहीं देंगे. जो लड़ाई भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने छेड़ी थी और शहादत दी उसी लड़ाई को डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने समाजवादी मूल्यों के साथ जारी रखा. 23 मार्च को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी का विरोध राममनोहर लोहिया ने बर्लिन में लीग ऑफ नेशन की बैठक में किया था. राजनीतिक पार्टियों ने मुल्क को कारपोरेट के हाथों नीलाम कर दिया है. लहू से रंगी हुईं मिट्टी जिसके लिए शहीदों ने जीवन कुर्बान कर दिया पर सिर्फ फूल चढ़ाना उनको सच्ची श्रद्धांजलि नहीं होगी बल्कि जीवन न्यौछावर कर देना होगा. आजाद भारत में लोहिया क्रांतिकारियों की मशाल लेकर अलख जगाते रहे. इन सबने घुटने नहीं टेके, शहीदों ने गुलामी से बेहतर आजादी के लिए फांसी के फंदे को चूम लिया. जुलूस में रामनयन यादव, किसान नेता राजीव यादव, निशांत राज, दुखरन, राम कुमार, राजेश, काशीनाथ यादव, बिजेंद्र, अरविंद, राधेश्याम, रविन्द्र यादव, साहेबदीन, महेंद्र राय, अवधेश यादव, नंदलाल यादव, नीलम, किस्मती, फूलमती, राहुल, प्रेमचंद्र, राहुल, बिंदु, सुशीला, कालिंदी आदि शामिल रहे.

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