नेता का अवैध अतिक्रमण हटवाना IAS को पड़ा महंगा, हुआ तबादला

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लखनऊ। चंदौली जिले के धानापुर थाना क्षेत्र के नेगुरा गांव में 40 साल पुराना चकरोड का विवाद था। दोनों पक्षों का मामला सकलडीहा एसडीएम कोर्ट में चल रहा था। यहां पर अब तक नियुक्‍त हुए उपजिलाधिकारियों को जनता की सुविधा से जुड़े हुए इस मसले को सुलझाने की कोई जल्‍दी नहीं थी, इसलिये वह बीते चार दशक से तारीख पर तारीख देते जा रहे थे। बनारस से कटकर अलग जिला चंदौली बन गया, लेकिन न्‍याय नहीं मिला, बस तारीख मिलता रहा। कई बार इसे लेकर कानून-वयवस्‍था खराब होने की स्थिति भी बनी, लेकिन किसी भी उपजिलाधिकारी ने इसे सुलझाने में दिलचस्‍पी नहीं ली। इसी तरह तारीख के सहारे ही पूरा सिस्‍टम चलता है, अधिकारी नौकरी कर चले जाते हैं, जनता तारीख दर तारीख दौड़ती-हांफती रहती है, लेकिन न्‍याय नहीं होता। कुछ मामलों में तो कई पीढि़यां न्‍याय के इंतजार में परलोक सिधार जाती हैं। पर, चार दशक से लटके नेगुरा चकरोड मामले को एक युवा आईएएस ने मौके पर जाकर ना केवल सुलझाया बल्कि जमीन की नापी कराकर चकरोड को अतिक्रममुक्‍त भी करा दिया। इस युवा अधिकारी ने तरह के कई दर्जन विवादों को मौके पर जाकर ना केवल निपटाया बल्कि शासन की मंशा के अनुरूप सरकारी जमीनों से अतिक्रमण भी साफ कराया।
पर जैसा अक्‍सर होता है कि ईमानदारी की कीमत चुकानी पड़ती है तो इस आईएएस को भी तबादले के रूप में इसकी कीमत चुकानी पड़ी, क्‍योंकि उसने एक सत्‍ताधारियों के प्रिय नेता द्वारा किये गये अतिक्रमण को हटाने की नोटिस दी थी। दरअसल, 2018 बैच के आईएएस प्रेमप्रकाश मीणा की तैनाती चंदौली जिले के सकलडीहा तहसील में ज्‍वाइंट मजिस्‍ट्रेट/उपजिलाधिकारी के रूप में चार महीने पहले हुई थी। मीणा ने मात्र चार महीने के कार्यकाल में चकरोड एवं सरकारी जमीन पर अतिक्रमण से जुड़े कई दर्जन मुकदमों में ना केवल सुनवाई की बल्कि मौके पर जाकर विवाद को हल भी कराया। जिस दौर में आईएएस बन जाने वाले अधिकारी अपने एसी चेंबरों से बाहर नहीं निकलते, जनता को अपना नौकर समझते हैं, उस दौर में प्रेमप्रकाश मीणा ना केवल जनता की सुन रहे थे बल्कि भरी दोपहरी जनता के दर पर जाकर न्‍याय भी कर रहे थे। चक रोड़ से जुड़े विवाद हल करने के साथ सरकारी जमीनों को अतिक्रमण मुक्‍त भी करा रहे थे, लेकिन नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्‍य के अवैध अतिक्रमण को हटाने का नोटिस देना प्रेम प्रकाश मीणा को भारी पड़ गया। सत्‍ताधारियों के दबाव में नोटिस पर अमल कराने के पहले ही उनका तबादला सकलडीहा से चकिया तहसील के लिये कर दिया गया।



जानकारी के अनुसार तहसील क्षेत्र के पपौरा गांव निवासी गोपाल सिंह ऊर्फ बबलू सिंह, जिसकी नजदीकी भाजपा के सांसद एवं विधायकों से है, ने सरकारी जमीन पर कब्‍जा करके मकान और ऑफिस बना रखा था। शिकायत थी कि तालाब पाटकर भवन का निर्माण कराया गया है। 2 जून को मौके पर जांच के बाद पाया गया कि अस्‍सी फीसदी निर्माण अवैध कब्‍जा कर बनाया गया है। प्रेमप्रकाश ने इसके अस्‍सी फीसदी भाग को स्‍वयं हटा लिये जाने की की नोटिस दी। 15 दिन की इस नोटिस के बाद निर्माण तोड़े जाने की चेतावनी दी गई थी, लेकिन सत्‍ताधारियों के निशाने पर आये प्रेमप्रकाश का तबादला उसके पहले ही सकलडीहा से चकिया के लिये कर दिया गया। प्रेमप्रकाश इसके पहले बस्‍ती और हाथरस जिले में भी तैनात रहे हैं। वहां भी कई दशक से लटके जमीन संबंधी विवादों को मौके पर जाकर नाप-जोख कराकर निस्‍तारित कराया। सकलडीहा में भी मात्र चार महीने के कार्यकाल में कई दशक से चले आ रहे जमीन, चकरोड संबंधी विवाद को निपटाकर कानून-व्‍यवस्‍था के लिहाज से भी बेहतर काम किया और जनता का विश्‍वास जीता। इस प्रयास का ही असर रहा कि तबादला की खबर आने के बाद उन्‍हें विदाई देने काफी संख्‍या में ग्रामीण एवं स्‍थानीय लोग जुट गये। फूल-मालाओं से लादकर गाजे-बाजे के साथ प्रेमप्रकाश की विदाई चकिया के लिये की। ऐसा कम ही होता है कि किसी अधिकारी के लिये जनता जुटे, लेकिन प्रेमप्रकाश ने अपनी कार्यप्रणाली से मुट्ठीभर लोगों को नाराज किया तो हजारों का दिल भी जीता।

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