आजमगढ़: पहले पति और अब बेटे को खोकर बदहवाश हुईं कुलजीत कौर

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शहर के मातबरगंज मोहल्ले में गम का माहौल
-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’
आजमगढ़। बेरहम कोरोना वायरस ने पूरे जनपद को अपनी चपेट में ले रखा है। इस जानलेवा संक्रमण से बेहाल लोग प्रतिदिन अपने प्रियजनों को खोने के लिए मजबूर हो गए हैं। शहर का मातबरगंज मुहल्ला तो कोरोना काल की दूसरी लहर से अब तक उबर नहीं सका है। इस मोहल्ले में पिछले एक पखवारे के भीतर दर्जनभर लोग असमय काल के गाल में समा गए। बुधवार को तो लोगों के सब्र का बांध टूट गया, जब मोहल्ले के लोगों ने 28 साल के एक होनहार युवक को सदा सदा के लिए खो दिया।
शहर के मातबरगंज मोहल्ले में टेंट व्यवसाय से जुड़े सरदार हरभजन सिंह कि अपनी हंसती-खेलती दुनिया थी। पत्नी और दो बच्चों में उन्होंने बेटी के हाथ पीले कर दिए थे। 28 वर्षीय इकलौता पुत्र हरप्रीत उर्फ मनी मां-बाप की बुढ़ापे की लाठी बन चुका था। लगभग 20 दिन पूर्व मोहल्ले का होनहार युवक हरप्रीत अचानक कोरोना वायरस की चपेट में आ गया। घर में आइसोलेट रहकर वह अपना उपचार करा रहा था। इकलौते बीमार बेटे का सदमा हरभजन सिंह बर्दाश्त नहीं कर सके और लगभग 10 दिन पूर्व वह हृदयाघात के चलते मौत की नींद सो गए। बिस्तर पर बीमार बेटा पिता को अर्थी देने के काबिल भी नहीं रहा। परिजनों और रिश्तेदारों की मदद से उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। कोरोना की चपेट में आने से गंभीर रूप से बीमार हरप्रीत को घर पर ही ऑक्सीजन सिलेंडर की मदद से ईलाज किया जा रहा था। तीन दिन पूर्व अचानक हालत गंभीर होने पर हरप्रीत को शहर के लक्षिरामपुर स्थित एक कोविड-19 निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उपचाराधीन हरप्रीत बुधवार की भोर में सदा-सदा के लिए इस दुनिया से रुखसत हो गया। इकलौते पुत्र की मौत के बाद पहले पति और अब बेटे को खो चुकी कुलजीत कौर पर मानो वज्रपात गिरा हो। कारण की अब इस दुनिया में बेटी और दामाद के अलावा उनका कोई और नहीं बचा है। ईश्वर इस संकट की घड़ी में पति और बेटे के लिए बेजार हो चुकी इस पीड़ित महिला को धैर्य और हिम्मत दें।

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