हमें अपनी मानवता को जीवित रखते हुए जल संरक्षण की जिम्मेदारी निभानी होगी-अयाज अहमद खान, संस्थापक
आजमगढ़। पर्यावरण सुरक्षा माह के तहत समीर प्रकृति संग्रहालय संचालित शुरूआत समिति ने आजमगढ़ के मुबारकपुर कस्बे में स्थित सेंट्रल पब्लिक स्कूल में एक विशेष पहल शुरू की। इस पहल के तहत ताल सलोने, अजमतगढ़ को रामसर क्षेत्र घोषित करने के लिए भारत सरकार को पत्र लिखने का निर्णय लिया गया। ताल सलोने को रामसर क्षेत्र का दर्जा मिलने से प्रकृति पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र की जैव विविधता का संरक्षण होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सी.पी.एस. ग्रुप के संस्थापक अयाज अहमद खान ने जल संरक्षण की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "अथर्ववेद में पानी को ब्रह्म और कुदरत का प्रतीक बताया गया है। सभी धर्मों में जल संरक्षण पर बल दिया गया है। हमें अपनी मानवता को जीवित रखते हुए जल संरक्षण की जिम्मेदारी निभानी होगी।" उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपनी संवेदनशीलता बनाए रखें, क्योंकि यह भारत को जल संकट से बचाने में मदद करेगा।
स्कूल की प्राचार्य रेखा सिंह ने कहा, "पानी के बिना जीवन की कल्पना असंभव है। यह न केवल हमारा, बल्कि धरती पर रहने वाले सभी जीव-जंतुओं का अधिकार है। हमें एक बेहतर मनुष्य के रूप में सभी के हक का सम्मान करना चाहिए।" शुरूआत समिति की सचिव व पर्यावरण समिति आजमगढ़ की सदस्य रीता राय ने कहा, "इस क्षेत्र की विरासत तालाब, वेटलैंड और नदियां हैं। इनके संरक्षण के लिए विद्यार्थियों और नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करनी होगी। जैव विविधता का संरक्षण तभी संभव है, जब धरती पर पानी सुरक्षित रहे।"
शोध छात्र विकल्प रंजन ने समीर प्रकृति संग्रहालय के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सभ्यताओं को जीवित रखने के लिए प्रकृति संरक्षण आवश्यक है। वहीं, सी.पी.एस. ग्रुप के मैनेजर डॉ. आजाद अहमद खान ने भूजल प्रदूषण को एक गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि रासायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग से भूजल के जहरीले होने का खतरा बढ़ रहा है। उन्होंने नई पीढ़ी से पर्यावरणविदों के अनुभवों से सीखने और समाधान खोजने की अपील की। संस्कृतकर्मी राजीव रंजन ने स्मृति वन बनाने और पौधारोपण को बढ़ावा देने का सुझाव दिया, जिससे वन क्षेत्र में वृद्धि होगी और वातावरण प्रदूषण मुक्त रहेगा। इस अवसर पर अतिथियों ने पौधारोपण भी किया। यह पहल न केवल जल संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाएगी, बल्कि ताल सलोने को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।