आगे कार निकल रही थी... पीछे धंस रही थी सड़क

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महज कुछ सेकंड के अंतर से बच गई जान




लखनऊ। उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों में रविवार को झमाझम बरसात, तेज हवा और ओलावृष्टि का दौर जारी रहा। दिन भर बादलों का डेरा रहा और बादलों की गरज व बिजली की चमक जारी रही। प्रदेश में रविवार को 7.5 मिमी बरसात रिकॉर्ड हुई। जबकि एक मार्च से तीन मार्च के बीच 8.6 मिमी पानी बरसा। बिगड़े मौसम के कारण लंबी दूरी की बसें निरस्त कर दी गईं, जबकि कई बसों व ट्रेनों का संचालन प्रभावित रहा। प्रदेश में बेमौसम बरसात से राजधानी लखनऊ सहित एक दर्जन से अधिक जिलों में फसलों को नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिलाधिकारियों को अतिवृष्टि और ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त फसलों के नुकसान का आकलन कर 24 घंटे में मुआवजा भुगतान के निर्देश दिए हैं।
उधर, लखनऊ के विकासनगर सेक्टर चार में रविवार दोपहर करीब 1 बजे अचानक सड़क धंस गई। करीब सात मीटर लंबाई और पांच मीटर गहराई में सड़क धंसने से वहां से गुजर रहे कुर्सी रोड निवासी शशिभूषण मिश्रा की कार के पिछले पहिये गड्ढे में लटकने लगे। गनीमत रही कि शशिभूषण हैंडब्रेक लगा फौरन कार से बाहर निकल आए। शशिभूषण बताते हैं कि दोपहर में धीरे-धीरे बारिश हो रही थी। विकासनगर सेक्टर चार से गुजरा तो अचानक लगा कि मेरी कार का पिछला हिस्सा नीचे जा रहा है। पहले तो मैंने रफ्तार बढ़ाने की कोशिश की, पर कार आगे नहीं बढ़ी। कुछ गड़बड़ होने का एहसास हुआ तो हैंडब्रैक लगाया और कार से बाहर निकल आया। बाहर का हाल देख मेरे होश उड़ गए। कार के दोनों पिछले पहिये गड्ढे में लटक रहे थे। पीछे सड़क धंसकर कुआं बन चुकी थी। शशिभूषण बताते हैं कि मौके के हालात को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जैसे-जैसे मेरी कार बढ़ रही थी, पीछे सड़क धंस रही थी। एक या दो सेकंड का अंतर आया अन्यथा कार पूरी तरह से गड्ढे में होती। परिवार वालों, मित्रों की दुआओं का असर है कि जान बच गई, वरना जिस तरह सड़क धंसी कार का उसमें पलटना तय था।
शशिभूषण ने बताया कि कार में वह अकेले थे। कार से बाहर निकलते ही सबसे पहले 112 (पुलिस कंट्रोल रूम ) पर कॉल करने की कोशिश की, पर नंबर लगा नहीं। इसके बाद भागकर विकासनगर थाने पहुंचा। पुलिस ने मदद की और क्रेन वाले का फोन नंबर दिया। कॉल करके क्रेन बुलाई। कार निकलने के बाद क्रेन वाले को 2500 रुपये दिया। इसके बाद सीधे विकासनगर में पंचमुखी हनुमान मंदिर पहुंचा। बजरंगबली को शीश नवाया। नया जीवन देने के लिए उनका आभार जताया। घर पहुंचा तो परिवारवालों को पूरा वाकया सुनाया तो वे भी परेशान हो उठे। सबने ईश्वर का आभार जताया।

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