आजमगढ़: जेल में बंद बाहुबली विधायक रमाकांत कैसे बनेंगे सपाई नैया के खेवैया

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एमपी एमएलए कोर्ट सुना चुकी है चार महीने कारावास की सजा
जहरीली शराब कांड में इन दिनों फतेहगढ़ जेल बना ठिकाना
रिपोर्ट-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’


आजमगढ़। जिले की राजनीति में अपनी अलग पहचान कायम रखते हुए चार बार संसद एवं चार बार यूपी विधानसभा में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने वाले फूलपुर- पवई क्षेत्र से वर्तमान सपा विधायक रमाकांत यादव आगामी लोकसभा चुनाव में कैसे सपाई नैया के खेवैया बन मंझधार में फंसी नैया को पार लगा पाएंगे कहना बहुत मुश्किल है। वैसे तो इस बाहुबली राजनैतिक व्यक्तित्व के बारे में लिखने के लिए लंबी फेहरिस्त है, फिर भी आज इस बाहुबली जनप्रतिनिधि के बारे में उनके आपराधिक व राजनैतिक इतिहास को बताना समसामयिक लगता है। जिले की फूलपुर तहसील क्षेत्र के दीदारगंज थाना अंतर्गत सरावां ग्राम निवासी रमाकांत यादव तीन भाईयों लल्लन यादव, पूर्व सांसद एवं इन दिनों जेल में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे उमाकांत यादव के बीच सबसे छोटे हैं। अपने आपराधिक कृत्यों के लिए कुख्यात रहे रमाकांत व उमाकांत दोनों भाइयों का इतिहास बड़ा रहा है। रमाकांत यादव के आपराधिक जीवन में पहला मुकदमा वर्ष 1977 में जहानागंज थाने में दर्ज हुआ था और उनके 34 साल के राजनीतिक जीवन में 54वां आपराधिक मामला भी वर्ष 2022 में जहानागंज थाने में ही दर्ज किया गया। इसके बाद जेल में निरुद्ध रहने के दौरान ही साल 2022 के फरवरी महीने में माहुल कस्बे में स्थित रमाकांत यादव के भांजे रंगेश यादव के नाम रहे देशी शराब दुकान से बिकी जहरीली शराब के सेवन से दर्जन भर से ज्यादा मौतें एवं लगभग पांच दर्जन लोगों की हालत गंभीर होने के मामले में नाम जुड़ने की वजह से उन्हें भी आरोपित बनाया गया है। इन दिनों वह प्रदेश के फतेहगढ़ जेल में निरुद्ध हैं। साथ ही उनके 46 वर्षों के आपराधिक जीवन में पहली बार एमपी एमएलए कोर्ट द्वारा मारपीट एवं धमकी देने के मामले में चार महीने का कारावास तथा सात हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई जा चुकी है। उनके उपर लगे गंभीर आरोपों में तिघरा कांड के नाम से बहुचर्चित सरावां ग्राम सभा के चक गंजलीशाह तिघरा गांव में भूमि संबंधी विवाद को लेकर चार सगे भाइयों को जिंदा दफन कर दिए जाने की घटना का जिक्र आते ही लोगों की रुह कांप उठती है। इस घटना में एक और बात सामने आती है कि यादव बंधुओं ने मारे गए सभी निःसंतान भाईयों को बेरहमी से पीटने के बाद उन्हीं के हाथों कब्र खुदवाया और सभी को जिंदा दफन कर दिया गया। हालांकि इस घटना के बाद पुलिस ने जनमानस में सुरक्षा के भाव भरने के लिए उस समय गिरफ्तार किए गए रमाकांत यादव के सबसे बड़े भाई लल्लन यादव को गिरफ्तार कर उन्हें अंबारी क्षेत्र में घुमाया था। इसके अलावा उनके कट्टर दुश्मन रहे अमरेज यादव पर फूलपुर तहसील परिसर में किए गए कातिलाना हमला जिसमें एक संतरी की गोली लगने से मौत हो गई थी। यह घटना भी आज तक लोगों की जुबान पर है। इसके अलावा सिंचाई विभाग में ठेके पर लिए गए कार्य में विरोध करने पर विभागीय अवर अभियंता जंगली राम की हत्या में नाम उजागर होने पर यादव बंधुओं का आपराधिक ग्राफ इतनी तेजी से बढ़ा कि फूलपुर क्षेत्र में होने वाले किसी भी विकास कार्य में दखल देने की किसी की हिम्मत नहीं हो पाती थी। दशकों तक ठेके के सभी कार्य में इनके दखल पर कोई जुबान खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। लखनऊ गेस्ट हाउस कांड, पिछले लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अंबारी क्षेत्र में बसपा प्रत्याशी रहे पूर्व सांसद अकबर अहमद डंपी एवं रमाकांत यादव के समर्थकों के बीच गोलीबारी, 2009 में रमाकांत समर्थकों एवं ओलमा कौंसिल समर्थकों के बीच हुई गोलीबारी में अब्दुल रहमान नामक ओलमा कौंसिल कार्यकर्ता की गोली लगने से हुई मौत के मामलों ने भी अपने समय में खूब सुर्खियां बटोरी। अब यदि रमाकांत यादव के राजनैतिक कैरियर पर नजर डालें तो देश की संसद एवं प्रदेश विधानसभा में चार- चार बार निर्वाचित होकर पहुंचे रमाकांत यादव ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए सपा, बसपा भाजपा और कांग्रेस जैसी सभी पार्टियों का चोला ओढ़कर सांसद और विधायक बनने में सफल रहे। राजनैतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1985 में कांग्रेस पार्टी से अलग हुए जगजीवन राम की पार्टी कांग्रेस (जे) से पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरे और चुनाव जीतकर वह विधायक बने। 1989 में भाजपा से तथा 1991एवं 1993 में समाजवादी पार्टी से विधायक चुने गए। वर्ष 1996 व 1999 में वह सपा से, 2084 में बसपा तथा 2009 में भाजपा से सांसद निर्वाचित हुए। वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में वह भाजपा प्रत्याशी के रूप में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2019 में भाजपा से लोकसभा का टिकट न मिलने पर वह कांग्रेस पार्टी का दामन थामा और भदोही लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन इस बार भी उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। बीते विधानसभा चुनाव में वह सपा में शामिल होकर फूलपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और विधायक चुन लिए गए। राजनैतिक क्षेत्र में अलग मुकाम हासिल कर चुके यादव बंधुओं के राजनीतिक विरासत की ओर देखें तो उनके बड़े भाई उमाकांत यादव जौनपुर जिले के मछलीशहर लोकसभा सीट से सांसद एवं खुटहन विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। रमाकांत यादव के पुत्र अरुणकांत यादव भी फूलपुर से भाजपा विधायक चुने जा चुके हैं। वर्तमान समय में रमाकांत यादव के बड़े भाई लल्लन यादव की पुत्रवधू अर्चना यादव फूलपुर एवं रमाकांत यादव के पुत्र वरुण कांत यादव पवई क्षेत्र से ब्लाक प्रमुख पद पर आसीन हैं।

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