व्यक्तित्व-कृतित्व से साहित्यकार को मिलती है अमरता-डॉ संजय सिंह

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आयोजित हुआ भव्य अंतर्नाद, पुस्तक परिचर्चा के साथ कवियों ने जमाए रंग
मऊ। लौकिक-आलौकिक भावों को शब्द सीमा में पिरोने वाले साहित्यकार के कृतित्व और व्यक्तित्व की सहजता ही उसे अमरता प्रदान करती है। दयाशंकर तिवारी जी अपनी रचनाधर्मिता के साथ अपने स्वभाव के लिए सदा याद किए जाएंगे। तमसा तट से लेकर देश के विविध प्रदेशों में पंडित श्यामनारायन पांडेय के साहित्य को संवंर्धन करने के साथ साहित्यिक शुचिता को अंतर्नाद द्वारा किए जा रहे आयोजन साहित्य के साथ सामाजिक बदलाव के संवाहक हैं। डॉ संजय सिंह ने यह विचार अंतर्नाद के आयोजन में व्यक्त किया। अंतर्नाद द्वारा नाही लउके डहरिया के छोर पुस्तक की परिचर्चा एवं कवि सम्मेलन कार्यक्रम में वह बोल रहे थे।
प्रथम सत्र में अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह पूर्व एडीएम, अतिथि डॉ संजय सिंह, डॉ एससी तिवारी, लायंस क्लब अध्यक्ष डॉ सुजीत सिंह, वरिष्ठ साहित्कार राघवेंद्र प्रताप सिंह, अंतर्नाद संस्थापक पुरुषार्थ सिंह, डॉ जयप्रकाश धुमकेतु ने दीप प्रज्ज्वलित कर कृतिकार पंडित दयाशंकर तिवारी का मार्ल्यापण व अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मान किया। विषय प्रवर्तन मृत्युंजय तिवारी ने किया। वक्ताओं ने नाहीं लउके डहरिया के छोर और पंडित तिवारी पर विस्तार से परिचर्चा किया। द्वितीय सत्र में वाणी वंदना राघवेंद्र प्रताप सिंह ने किया। युवा कवि तुफान सिंह निकुंभ, बृजेश गिरि, जर्नादन पांडेय नाचीज, लाल बहादुर सिंह, प्रलेस अध्यक्ष डॉ वसीमुद्दीन जमाली, कंचनलता पांडेय, पुरुषार्थ सिंह, सागर सिंह आदि ने देर रात तक काव्य फुहार से लोगों को अपनी रचनाओं से मन मोह लिया। संचालन पुरुषार्थ सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन लायंस क्लब अध्यक्ष डॉ सुजीत सिंह ने किया।
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