फीस के नाम पर रेप करने वाले प्रिसिंपल को 20 साल की सजा

Youth India Times
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पीड़िता ने खुद साक्ष्य जुटाकर प्रिसिंपल को दिलाई सजा
कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में छात्रा की मार्कशीट रोक फीस के नाम पर ब्लैकमेल कर रेप करने वाले प्रधानाचार्य को 20 वर्ष की सजा सुनाई गई। अभियुक्त पर 57 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जिसमें से 50 हजार रुपये पीड़िता को दिए जाएंगे। अतिरिक्त विशेष न्यायालय पॉक्सो सुरेंद्र पाल सिंह ने पशुपतिनगर मछरिया निवासी राजीव नगर स्थित लक्ष्मी विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य अवधेश सिंह को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई। एडीजीसी भावना गुप्ता के मुताबिक मछरिया निवासी पीड़िता ने 5 सितंबर 2020 में नौबस्ता थाने में तहरीर दी थी कि उसने लक्ष्मी विद्या मंदिर से 10वीं (2017-18) व 12वीं (2018-19) की परीक्षा पास की है। प्रधानाचार्य ने छात्रा पर उसके स्कूल में पढ़ाने का दबाव बनाया। मई 2019 में स्कूल की छुट्टी के बाद अवधेश सिंह ने रेप किया। पीड़िता के वकील करीम अहमद के मुताबिक पॉक्सो एक्ट के तहत आरोप नहीं सिद्ध हो सका। सर्टिफिकेट में डेट ऑफ बर्थ से पीड़ित का नाबालिग होना साबित न हो सका। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सजा सुनाई। जिसके बाद आरोपी अवधेश सिंह को जेल भेज दिया गया। छात्रा की मजबूरी का फायदा उठाकर दुष्कर्म करने के आरोप में जेल भेजे गए प्रधानाचार्य अवधेश सिंह ने स्कूल में ही दो बार रेप किया था। लड़की ने चुपचाप मोबाइल से वीडियो व आडियो से साक्ष्य जुटाए। रिकार्डिंग पकड़े जाने पर प्रधानाचार्य ने पीड़िता को थप्पड़ मारा था। रिकार्डिंग डिलीट करा दी थी। लेकिन ईमेल में भेजी गई रिकार्डिंग को छात्रा ने कोर्ट में मुहैया कराया था। छात्रा के अधिवक्ता करीम सिद्दीकी के मुताबिक, पीड़िता से मई 2019 के आखिरी हफ्ते और 8 जुलाई 2020 को रेप किया गया था। यह बात छात्रा ने बयान में कोर्ट में बताई। छात्रा ने यह आरोप लगाया था कि प्रधानाचार्य बढ़ाकर फीस बताता था। उसने हाईस्कूल व इंटर की मार्कशीट मांगी तो उसकी और भाई-बहन की फीस 74 हजार रुपये बकाए की मांग की। टीसी मांगने पर स्कूल में पढ़ाने को बुलाया। छात्रा ने कोर्ट में यह भी जानकारी दी कि प्रधानाचार्य कपड़ों में प्रेस कराता था। इससे वह डरती थी। बाद में उसने रेप किया। इस घटना से वह दहशत से डिप्रेशन में आ गई जिस पर वह देहरादून चली गई। पांच महीने बाद लौटी तो हिम्मत कर फोन कर प्रधानाचार्य से फिर मार्कशीट और टीसी देने की बात कही तो उसने कहा कि स्कूल में पढ़ाने आओ। ग्रेजुएशन भी करा देंगे। वह हिम्मत कर साक्ष्य जुटाने के इरादे से स्कूल गई। उस समय कोविड के चलते ऑनलाइन क्लासेज लगती थी।

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