आपकी गाड़ी भी न हो जाए कहीं किसी और के नाम
मिली-भगत से जारी है बड़ा खेल
आजमगढ़। सावधान! यदि आपके पास वाहन है तो सतर्क हो जाएं। कहीं आपकी भी गाड़ी किसी के नाम न हो जाए। जी हां सही सुना आपने, हम बात कर रहे हैं आरटीओ विभाग की कारस्तानी की। विभाग की मिली-भगत से शहर के एक बड़े सराफा व्यापारी के अंडर काम करने वाले व्यक्ति ने अपने ही मालिक के वाहन को अपने बेटे के नाम करा लिया। इतना ही नहीं उसे किसी तीसरे व्यक्ति को बेच भी दिया। जब इसकी जानकारी सराफा कारोबारी को हुई तो वह विभाग में शिकायत दर्ज कराई। मामले को गंभीरता से लेते हुए एआरटीओ प्रशासन ने मामले की जांच शुरु कराई तो फर्जीवाड़ा सामने आ गया। विभाग ने तत्काल प्रभाव से वाहन को सराफा कारोबारी के नाम कर दिया।
शहर कोतवाली क्षेत्र के कटरा मोहल्ला निवासी आशीष गोयल पुत्र सुधीर कुमार गोयल शहर के एक बड़े सर्राफा कारोबारी हैं। उन्होने आरटीओ के यहां शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि उन्होंने सात अप्रैल 2016 को एक चार पहिया वाहन खरीदा था। उनके यहां काम करने वाला एक व्यक्ति वाहन चलाता था। आरोप है कि उसने परिवहन विभाग की मिलीभगत से फर्जी तरीके से वाहन को अपने बेटे के नाम करा लिया। इतना ही नहीं उसे जौनपुर के एक व्यक्ति को बेच भी दिया गया। जब इसकी जानकारी सर्राफा कारोबारी को हुई तो उन्होंने आरटीओ कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई।
एआरटीओ प्रशासन सतेंद्र कुमार यादव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तीन जून को सराफा कारोबारी आशीष गोयल की शिकायत को आधार मानते हुए लालगंज के भोपालपुर भडसारी निवासी दीपांकर को नोटिस जारी की गई। साथ ही 14 जून को कार्यालय में आकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा। चेतावनी दी कि यदि समय से उपस्थित होकर साक्ष्य सहित अपना पक्ष नहीं रखे तो एकतरफा कार्रवाई की जाएगी नोटिस के बाद भी जब वह अपना पक्ष रखने नहीं आए तो विभाग ने अपने स्तर से जांच की। जांच में फर्जी हस्ताक्षर पाए गए जिसे लेकर एआरटीओ ने तत्काल प्रभाव से वाहन को उसके मालिक के नाम कर दिया। अब वहीं सवाल खड़ा हो रहा कि आखिर बिना मालिक के स्वीकृति के या फिर उनकी अनुपस्थिति में वाहन दूसरे के नाम कैसे हो गया। इसे लेकर आरटीओ विभाग भी संदेह के घेरे में है।