खुद को बजरंग बली समझता है मुस्लिम युवक, शिव-पार्वती को माता-पिता

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डाक्टर ने बताया ऐसा होने की खास वजह
प्रयागराज। अविकसित मस्तिष्क वालों का अपने शरीर और कार्य व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रहता है। भावों की अभिव्यक्ति और विचारपूर्ण व्यवहार में वे कमजोर होते हैं। यह स्थिति जन्मजात होती है। लेकिन कुछ मामले ऐसे होते हैं जिसमें ठीक-ठाक व्यक्ति अचानक से अवांछित व्यवहार करने लगता है। अतार्किक बातें करता है। यह एक प्रकार का मनोरोग है जिसे मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक बाईपोलर मूड डिसऑर्डर कहते हैं। ऐसी स्थिति नशे की लत की वजह से होती है। खासकर युवा और किशोर भांग, गांजा और स्मैक के ज्यादा सेवन से मनोविकार की जद में आ रहे हैं। ऑनलाइन गेमिंग भी इसकी वजह बन रही है। एसआरएन और कॉल्विन अस्पताल में आए दिन ऐसे केस सामने आते हैं। काउंसलिंग के जरिए डॉक्टर ऐसे लोगों के व्यवहार और विचार को सही करने की कोशिश करते हैं। मेजा का एक 20 वर्षीय मुस्लिम युवक मानता है कि भगवान शिव और पार्वती उनके माता-पिता हैं। वह अपने घर में भी शिव की आराधना करने लगा। एसआरएन में मानसिक रोग विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि युवक का इलाज मूड सेवलाइजर, सोडियम वेलप्रेट, एंटी साइकैट्रिक और ओलेंजापीन आदि दवाओं से किया जा रहा है।
मऊआइमा का एक 19 वर्षीय मुस्लिम युवक खुद को बजरंगबली कहता है। कहता है, मैंने प्रभु श्रीराम की मदद की थी। करीब डेढ़ साल पहले वह युवक मंदिर की दहलीज पर पहुंचकर मत्था टेकने लगा तो लोगों को अचरज हुआ। उसका इलाज आज भी स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल के मानसिक रोग विभाग में चल रहा है। कॉल्विन अस्पताल के मनोचिकित्सक, डॉ. राकेश पासवान ने कहा कि विहैब्रल एडिक्शन के शिकार लोगों के दिमाग में अच्छे-बुरे, उचित-अनुचित का ख्याल नहीं रहता। ऐसे लोगों को कुछ लोग नशा और दूसरे प्रलोभन देकर गलत फायदा उठाते हैं। ऑनलाइन गेमिंग के आने वाले मामलों में भी मानसिक विकार की शिकायत मिल रही है। एसआरएन अस्पताल के मानसिग रोग विभाग के डॉ. अभिनव टंडन ने कहा कि पोलर मूड डिसऑर्डर गंभीर नशे के आदी लोगों में उभरकर सामने आती है। भांग, गांजा और अल्कोहल का ज्यादा सेवन करने और प्रतिकूल परिस्थितियों में कुछ लोगों के ब्रेन स्ट्रेम में डोपामीन न्यूरो ट्रांसमीटर बढ़ जाता है जिससे वे अवांछित हरकतें करने लगते हैं।

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