मारते न तो क्या करते? जिंदा बचने पर जताया अफसोस बरेली। बरेली के फतेहगंज पश्चिमी में मरणासन्न हालत में मिली शाही की युवती के पिता ने दिन भर गोलमोल बातों के बाद शाम ढलते ही गुनाह कबूल कर लिया। उसने पुलिस से कहा कि वह लोग तो मरा समझकर छोड़ आए थे, बेटी जाने कैसे बच गई। तोताराम ने बताया कि बेटी को गांव का ही युवक पिछले साल अप्रैल में फुसलाकर ले गया था। युवक उन्हीं की बिरादरी का था तो आपसी समझौते के तहत तीन दिन बाद वह बेटी को ले आया। दस दिन बाद दोबारा बेटी उसके साथ चली गई। इस बार ये लोग एक सप्ताह में वापस लौटे। इससे उसकी गांव में काफी बदनामी हुई थी। तब से उसने सोच लिया था कि बेटी की कहीं और शादी कर देगा। दोनों दामाद छेदालाल और दिनेश के साथ मिलकर उसने कई रिश्ते देखे। फिर भमोरा के गांव नत्था की गौटिया निवासी दामाद दिनेश ने ही अपने पड़ोस के गांव भगवानपुर (जिला बदायूं) में देवेंद्र से रिश्ता तय कराया। बेटी प्रेमी से ही शादी पर अड़ी थी पर उन्होंने किसी तरह निगरानी कर उसे रोक रखा था। बवाल के डर से गांव में बरात नहीं बुलाई। इसी 22 अप्रैल को शाही के पास मिर्जापुर के बरातघर में बरात आई। बेटी ने रात भर ड्रामा किया। फिर बीमारी का बहाना कर फेरे नहीं लिए। उन्होंने भी देवेंद्र के साथ जबरन उसे गाड़ी में बैठाकर विदा किया। वह घर पहुंचे ही थे कि देवेंद्र की कॉल आ गई। कहा कि आपकी बेटी किसी से नहीं बोल रही, आप आकर देख लो। तब वह बाइक से बेटे प्रेम कुमार के साथ 23 अप्रैल की सुबह बेटी की ससुराल पहुंच गए। दोनों दामादों को बुला लिया। वहां बेटी ने साफ कह दिया कि वह इस शादी को नहीं मानती, प्रेमी के साथ ही जाएगी। उन लोगों ने काफी पहले बेटी से मोबाइल छीन लिया था। उन्होंने देखा कि वह पति के मोबाइल से प्रेमी से बात कर रही है। देवेंद्र व उसके परिजनों का कहना था कि उन लोगों को फंसा दिया गया है। एसपी देहात राजकुमार अग्रवाल को दी जानकारी के मुताबिक 23 अप्रैल की रात तोताराम समेत चारों लोग बेटी की ससुराल में रुके। सुबह नौ बजे तोताराम बेटे को लेकर बाइक से देवचरा आए। वहां से टॉयलेट क्लीनर (लाइट एसिड) लिया। इसकी तस्दीक दुकान मालिक ने भी की। फिर वापस बेटी की ससुराल आए। वहां से शाम चार बजे बेटी को साथ लेकर दो बाइक से ये लोग गांव को चले। रास्ते में कई जगह रुकते हुए आराम से आए। झुमका तिराहे के होटल पर खाना खाया, जिसकी फुटेज पुलिस को मिली है। इसके बाद रात बारह बजे करीब शंखा रोड पर पहुंचे। फिर रोड से बेटी को झाड़ियों की ओर ले गए। वहां इन लोगों ने उसका गला दबाया। मरा समझने के बाद उसके मुंह के अंदर, चेहरे व शरीर पर टॉयलेट क्लीनर डाला। फिर वहां से तोताराम अपने और दामाद अपने घर चले गए। एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने सुबह जिला अस्पताल पहुंचकर पीड़ित का हाल देखा। फिर एसपी देहात के साथ घटनास्थल का मुआयना किया। भमोरा एसओ को भगवानपुर जाकर सच पता करने की जिम्मेदारी दी। एसओजी अस्पताल चौकी पर आए तोताराम व दूसरे परिजनों के पास सादा कपड़ों में खड़े रहकर हावभाव परखती रही। सर्विलांस सेल ने कई नंबरों की डिटेल निकालकर कड़ियां जोड़ दीं। एक टीम ने देवचरा बाजार से लेकर फतेहगंज पश्चिमी रोड तक के सीसीटीवी चेक कर ये तस्दीक की कि युवती परिवार के साथ ही बेफिक्र जा रही थी। ऐसे कई साक्ष्यों से घटना का कबीब बारह घंटे में ही खुलासा हो गया। युवती के साथ हुई घटना में आरोपी परिवार के ही थे और पेशेवर नहीं थे, इसलिए जल्दी ही टूट गए। इनका बदला बयान और व्यवहार भी पुलिस की नजर में चढ़ गया। पिता सुबह काफी देर से जिला अस्पताल आया। शुरू में तो उसने कह दिया कि यह मेरी बेटी नहीं है। बाद में बेटी को पहचाना तो खुद को घटना से अनजान बताया। दामाद दिनेश ने खुद किनारा करते हुए घटना से अनभिज्ञता जताई। वहीं घटना में अजय का हाथ साबित करने की कोशिश कर पुराने घटनाक्रम के बारे में बताया। पीड़िता के हावभाव से भी पुलिस को क्लू मिल गया। इमरजेंसी में उपचार करने वाले डॉ. एके सिंह ने बताया कि युवती का शरीर करीब 48 फीसदी झुलसा हुआ है। बताया कि तेजाब जैसा ही पदार्थ लग रहा है जो मुंह के रास्ते श्वास नली में होकर शरीर तक पहुंचा है। आंखें भी लगभग खराब हो गई हैं। कहा कि युवती काफी हिम्मती है जो हालात से लड़ रही है। दोपहर दो बजे उन्होंने उसे हायर सेंटर रेफर किया। हालांकि लखनऊ ले जाने का रिस्क बचाकर उसका भोजीपुरा के निजी मेडिकल कॉलेज में इलाज कराया जा रहा है।