आजमगढ़: मोबाइल, ईयरफोन और चश्मा नहीं भूले तो हेल्मेट क्यों

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यातायात प्रभारी का सवाल सुन नहीं था किसी के पास समुचित जवाब
रिपोर्ट : वेद प्रकाश सिंह 'लल्ला'
आजमगढ़। शहर के मातबरगंज इलाके का शंकर जी तिराहे पर रविवार को हेल्मेट और सीट बेल्ट का उपयोग कर सुरक्षित यात्रा के लिए जागरुकता लाने के उद्देश्य से खड़ी यातायात पुलिस की पीड़ा भी कुछ कम नहीं नजर आई। बगैर हेल्मेट लगाए एक बाइक सवार का ई-चालान काटने की बात को लेकर मचे बवाल को शांत कराने के लिए काफी मशक्कत झेलनी पड़ी। इस दौरान वहां तमाशबीनों की भीड़ ने तमाम सवाल दागना शुरू किया तो वहां मौजूद यातायात प्रभारी के जवाब ने सभी को निरुत्तर कर दिया और वहां जुटी भीड़ भी छंट गई।
इसी बीच मुख्य चौक की ओर से आ रहे बाइक सवार दो युवकों को रोका गया और जैसे ही यातायात पुलिस ने मोबाइल ऐप के माध्यम से ई चालान काटने के लिए मोबाइल निकाला, चालक अनुनय विनय की मुद्रा में खड़ा हो गया। उस युवक के चेहरे पर चश्मा, ईयर फोन और जेब में मोबाइल की मौजूदगी पर यातायात प्रभारी का सवाल भी लोगों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया। यातायात प्रभारी धनंजय शर्मा ने बाइक चालक से पूछा कि कहां जा रहे हैं तो युवक का जवाब की पीछे बैठे रिश्तेदार को रेलवे स्टेशन छोड़ने जा रहा हूं। फिर यातायात प्रभारी ने पूछा कि लंबे समय से आमजन के बीच यातायात नियमों का पालन कराना सुनिश्चित करने के लिए पुलिस अथवा यातायात पुलिस द्वारा चलाए जा रहे अभियान का कोई असर नहीं दिख रहा है और लोग शायद नियमों का उलंघन करने की शपथ ले चुके हैं, तभी तो प्रतिदिन सैकड़ों लोगों का ई चालान काटा जा रहा है लेकिन वाहन संचालन करने वाले लोग 'हम नहीं सुधरेंगे' की तर्ज पर नियम तोड़ अपने जान की परवाह किए बगैर वाहनों का संचालन कर रहे हैं। उस युवक से जब हेल्मेट के बारे में पूछा गया तो उसने जवाब दिया कि घर से निकलते समय भूल गए। इस जवाब पर यातायात प्रभारी ने कहा कि चश्मा, ईयर फोन और मोबाइल तो नहीं भूले, लेकिन जिस हेल्मेट से आप की जान बच सकती है उसे कैसे भूल गए इसका जवाब बाइक चालक के पास नहीं था। इस जवाब पर उन्होंने कहा कि सुरक्षित यात्रा के लिए इतनी मेहनत की जा रही है लेकिन इसका असर नहीं दिख रहा है, ऐसे में जब लोगों को अपने जीवन की परवाह नहीं तो पुलिस कहां कहां चौराहे पर सख्ती दिखाए। इसके लिए समाज के लोगों को भी सजग प्रहरी की भूमिका में आगे आना होगा। यातायात प्रभारी धनंजय शर्मा की यह बात कि हम अपने लिए नहीं आपके सुरक्षित जीवन की चिंता करते हुए जनमानस में यातायात नियमों का पाठ पढ़ाने का काम करते हैं कि किसी बहन-बेटी की मांग असमय सूनी न हो और बुढ़ापे में किसी की लाठी न टूटे, साथ ही दुनिया से दूर होने वाले के बच्चे असमय अनाथ होने से बच सकें। इस बात को सुनकर वहां मौजूद लोगों ने चुपचाप खिसक लेने में ही अपनी भलाई समझी और वहां से निकल लिए।

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