आजमगढ़ : वनवासियों को आवंटित भूमि पर कब्जा कर बना रहे मस्जिद

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एसडीएम से न्याय की गुहार भी रही बेअसर
भू-माफिया और सरकारी व्यवस्था के प्रति जबरदस्त आक्रोश
रिपोर्ट-आरपी सिंह
आजमगढ़। फूलपुर तहसील प्रशासन की अनदेखी और मिलीभगत से क्षेत्र के सुदनीपुर ग्रामसभा अंतर्गत राजस्व गांव चकनूरी में भूमिहीन वनवासियों को आवंटित की गई भूमि पर कतिपय दबंगों द्वारा तहसील प्रशासन की शह पर अवैध कब्जा कर मस्जिद का निर्माण किया जा रहा है। इस मामले को लेकर वनवासियों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है। पीड़ित आवंटियों का कहना है कि बगैर भूमि की मापी कराए आवंटित भूमि पर कब्जा कर रहे लोगों के प्रति तहसील प्रशासन का झुकाव कुछ और कहानी बयां करता है। इस मामले को लेकर पीड़ित पक्ष मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाएगा।
बताते हैं कि चकनूरी गांव के भू-लेख में गाटा संख्या 315 रकबा 1820 हेक्टर भूमि पर वर्ष 2003 में सुदनीपुर गांव के गरीब वनवासी (मुसहर) जाति के सरन, नन्दलाल, करन व कामता पुत्रगण दुर्बल, सन्तलाल पुत्र बखेड़ू, सुमिरन, भीखा, सुरेश व शंकर पुत्र जियालाल, दिनेश पुत्र चन्द्रबली, सतिराम पुत्र केसर सहित नौ पात्रों का चयन कर 203 हेक्टेयर भूमि वृक्षारोपण के लिए आवंटित किया गया था। इसके पूर्व उसी भूमि में वृक्षारोपण हेतु नैयर आजम, शाहआलम, फखरेआलम, फसी आलम सहित डाक्टर खालिक के पुत्रों के नाम भूमि आवंटित कर दी गई थी, जिसे प्रशासन द्वारा कैंसिल कर वनवासियों को आवंटित किया गया था। मुस्लिम बन्धु सरकारी भूमि के साथ ही आवंटित की भूमि पर कब्जे के उद्देश्य से उसी दौरान मस्जिद का निर्माण कराना शुरू कर दिया। वर्ष 2003 में वनवासियों ने विरोध किया। तत्कालीन उपजिलाधिकारी परवेज आलम ने भूमि का सीमांकन करा मस्जिद का निर्माण रुकवा दिया था, कारण कि सरकारी भूमि में मस्जिद निर्माण का हिस्सा सम्मिलित था। दस-बारह वर्षों तक मस्जिद का निर्माण रुका रहा लेकिन कतिपय दबंग पुनः अब उसी भूमि पर मस्जिद का निर्माण कराना शुरु कर दिए। इसके विरोध में आवंटी वनवासियों ने एक बार फिर उपजिलाधिकारी फूलपुर नरेंद्र कुमार गंगवार के यहाँ न्याय की गुहार लगाई। मामले के निस्तारण के लिए नायब तहसीलदार व राजस्व निरीक्षक मौके पर सीमांकन करने पहुंचे लेकिन वहां चल रहा निर्माण कार्य जारी रहा। इतना ही नहीं मौके पर सरकारी आवंटित भूमि का सीमांकन भी नहीं हुआ। आरोप है कि नायब तहसीलदार व राजस्व कर्मी भू-माफियाओं के हिस्से की नापी कर निर्माणाधीन मस्जिद को बचाने की जुगत में लगे रहे और ननवासी समुदाय को सन्तुष्ट नहीं कर सके। इस संबंध में पीड़ित आवंटियों में कामता, सरन, गिरजा, सतिराम व अंगद का कहना है कि यदि नैयर आलम आदि की भूमि थी तो वर्षो पूर्व सीमांकन के बाद निर्माण कार्य उपजिलाधिकारी द्वारा क्यों रोका गया था। उस समय सीमांकन में मस्जिद निर्माणस्थल कैसे सरकारी भूमि का हिस्सा बन गया था। पीड़ितों का कहना है कि हमारी पत्रवाली गायब कर दी गयी है। उन्होंने आरोप लगाया कि तहसील प्रशासन में दबंग मुस्लिम परिवार की पकड़ का यह आलम है कि उनकी शिकायत पर ऊदपुर ग्राम पंचायत में वर्षों से अंत्येष्ठि स्थल का निर्माण कार्य रुका पड़ा है। इस प्रकरण के बारे में किसी अधिकारी ने आज तक जानने की कोशिश नहीं किया। तहसील प्रशासन के रवैए से आहत वनवासियों का कहना है कि हमारी सुनवाई नहीं हुई तो मुख्यमंत्री दरबार तक गुहार लगाएंगे। सरकार हमारा उत्थान करना चाहती है पर भ्रष्टाचार का लबादा ओढ़े सरकारी व्यवस्था के चलते हमारे साथ शोषण और पतन का कार्य किया जा रहा है। इस सम्बंध में पूछे जाने पर उपजिलाधिकारी नरेन्द्र कुमार ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में है। सरकारी भूमि का सीमांकन कर आवंटियों को कब्जा दिलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि भूमि सीमांकन तक मौके पर निर्माण कार्य रोकने का निर्देश दिया गया है।

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