आजमगढ़: ...जब गूंज उठी ए मुलायम, ए मुलायम की आवाज

Youth India Times
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सभी ठिठके मगर मुस्कुरा रहे थे नेता जी
आजमगढ़। समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव को लोग ऐसे ही नेताजी नहीं कहते थे। इसकी सबसे बड़ी खास बात यह थी कि वह अपने लोगों को कभी नहीं भूलते थे। इन्हीं लोगों में से एक थे आजमगढ़ सदर तहसील के परमेश्वरपुर गांव निवासी दीना यादव। जिन्हें जेल में मिलने के बाद मुलायम कभी नहीं भूले। वर्ष 2007 में विधानसभा चुनाव हो रहे थे। हर पार्टी के दिग्गज नेताओं का जनपद आगमन हो रहा था। अपनी पार्टी के प्रचार प्रसार के लिए सपा के मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव भी जनपद आए हुए थे। वो तहबरपुर की बाग में एक छोटे से मंच से जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
इस दौरान एक व्यक्ति मंच के बगल में समाजवादी पार्टी का झंडा लिए बेचैनी में टहल रहा था। जनसभा को संबोधित कर मुलायम सिंह यादव जब मंच से उतरने लगे तो उक्त व्यक्ति ने ए मुलायम, ए मुलायम की आवाज लगाई। आवाज को सुनते ही वहां मौजूद सभी लोगों की निगाह उधर उठ गई जिधर से आवाज आई थी। सभी ए मुलायम, ए मुलायम की आवाज सुन ठिठक गए थे लेकिन नेताजी मुस्कुरा रहे थे। जब तक वह कुछ समझते सुरक्षाकर्मियों ने उक्त व्यक्ति को हटाना शुरू कर दिया। लेकिन, उक्त व्यक्ति को पहचानते ही मुलायम सिंह यादव ने सुरक्षाकर्मियों को रोका और उसे दीना का संबोधन कर अपने पास बुलाया। उनका कुशलक्षेम पूछा। कंधे पर हाथ रखकर लखनऊ आने की बात कही और आगे निकल गए।
जिसे दीना कहकर नेता जी ने संबोधित किया था वह आजमगढ़ जनपद के सदर तहसील के परमेश्वरपुर गांव के रहने वाले थे। वो कभी मुलायम सिंह यादव के साथ देवरिया जेल में बंद थे। बताते चलें कि तत्कालीन भाजपा सरकार में चीनी मिल प्रशासन की मनमानी से तंग आकर क्षेत्र के किसानों ने अगस्त 1992 में किसान नेता राधेश्याम सिंह की अगुवाई में चीनी मिल गेट पर आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन में धीरे-धीरे अगल-बगल के गांवों से लोग जुटने लगे। आठ सितंबर को चीनी मिल प्रशासन और आंदोलन कर रहे किसानों के बीच वार्ता विफल हुई तो आंदोलन और उग्र हो गया। आंदोलन की धमक लखनऊ तक पहुंची तो तत्कालीन जनपद देवरिया के जिलाधिकारी पर किसानों को मनाने का दबाव बढ़ने लगा। नौ सितंबर को प्रशासनिक अधिकारियों व चीनी मिल प्रशासन के साथ राधेश्याम सिंह से वार्ता शुरू हुई जो देर शाम तक चली।
वार्ता विफल होने के बाद आंदोलनकारियों ने चीनी मिल प्रबंधक को बंधक बनाकर आंदोलन स्थल पर बैठा लिया। उन्होंने शर्त रखी कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी, प्रबंधक हमारे साथ बैठे रहेंगे। रामकोला कस्बा में 10 हजार से अधिक किसान जुट गए। राधेश्याम पर प्रशासन आंदोलन खत्म करने का दबाव बनाने लगा। इसकी जानकारी किसानों को हुई तो वह उग्र हो गए और पुलिस पर पथराव कर दिया। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने फायरिंग की और 10 सितंबर को दो किसानों की मौत हो गई। राधेश्याम सहित करीब 250 किसानों को गिरफ्तार कर देवरिया जेल में डाल कस्बे में कर्फ्यू लगा दिया गया। जब मुलायम सिंह यादव पहुंचे तो उन्हें भी गिरफ्तार कर देवरिया जेल में बंद कर दिया गया। यहीं पर उनकी मुलाकात दीना यादव से हुई थी। इसके बाद वह दीना को कभी नहीं भूले। देवरिया जेल से मुलायम सिंह यादव को बनारस सेंट्रल जेल शिफ्ट किया गया था।

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