कर्मचारियों के पीएफ में बड़े घोटाले की आशंका

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नहीं मिल रहे निवेश के पेपर; तीन जिम्‍मेदारों को मिला अल्‍टीमेटम
लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक (पुराना नाम भूमि विकास बैंक-एलडीबी) के कर्मचारियों के भविष्य निधि की धनराशि में बड़े घोटाले खुलते नजर आ रहे हैं। कर्मचारियों की अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट से निवेशित बड़ी धनराशि से संबंधित अभिलेख ही गायब हो गए हैं, जिन्हें तलाशा जा रहा है। बैंक प्रबंधन ने इस मामले में 2001 से 2015 के बीच ट्रस्ट में सचिव रहे तीन कर्मचारियों से सारे अभिलेख 21 अक्तूबर तक मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं, अभिलेख नहीं मिलने की दशा में कार्यवाही की चेतावनी दी गई है।
बैंक के प्रबंध निदेशक आरके कुलश्रेष्ठ ने अभिलेखों की तलाश के लिए 2001 से 2015 के बीच अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट के सचिव रहे तीन कर्मचारी अयोध्या में तैनात आंकिक अरविंद कुमार सिंह मुन्ना, मुख्यालय में तैनात आंकिक परवेज अतहर तथा मैनपुरी में तैनात फील्ड आफिसर राजकुमार को मुख्यालय में ईपीएफ अनुभाग से संबद्ध कर दिया है।
तीनों को यह निर्देश दिया गया है कि सचिव रहते हुए अपने कार्यकाल के समस्त अभिलेखों को तलाशें और 21 अक्तूबर तक महाप्रबंधक (प्रशासन) को उपलब्ध करा दें। अन्यथा अग्रिम कार्यवाही के लिए तैयार रहें। जिसकी पूरी जिम्मेदारी इन तीनों की होगी। प्रबंध निदेशक द्वारा उठाए गए कदम के बाद तत्कालीन सचिवों के साथ ट्रस्ट के चेयरमैन रहे कर्मियों में हड़कंप है।
18.91 करोड़ रुपये का गोलमाल पहले ही पकड़ा जा चुका है बैंक कर्मचारियों के भविष्य निधि फंड से 18.91 करोड़ रुपये हेराफेरी का मामला प्रकाश में आने के बाद बैंक प्रबंधन ने इस मामले की गंभीरता से पड़ताल शुरू की है। विशेष आडिट में फंड से 18.91 करोड़ रुपये का गोलमाल उजागर होने के बाद से ही लगातार इस मामले में दोषियों को चिन्हित करते हुए कार्यवाही करने की दिशा में काम किए जा रहे हैं।
बैंक प्रबंधन ने ईपीएफ धनराशि में आ रहे 18.91 करोड़ रुपये कहां गए यह जानने के लिए वर्षवार जमा और निकासी से संबंधित आंकड़े तैयार कराए जा रह हैं। वर्षवार आंकड़ें तैयार होने पर यह पता चय जाएगा कि किस वर्ष के अभिलेख गायब हैं या किस वर्ष में तय मानक की अधिक दर फंड का भुगतान किया गया है।

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