ईद के बाद सपा में होगा बड़ा सांगठनिक फेरबदल

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अब पुराने पैटर्न पर नहीं होगा जिला अध्यक्षों का मनोनयन

जानिए किसको देगी पार्टी तवज्जो

लखनऊ। सपा में ईद के बाद बड़ा संगठनात्मक फेरबदल होगा। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश से लेकर जिला स्तर पर संगठन में नए और संघर्षशील चेहरों को तवज्जो दी जाएगी। पार्टी ऐसे लोगों को जिले की कमान सौंपेगी, जिनकी छवि साफ होने के साथ ही जुझारू होगी। इस मुद्दे पर शीर्ष नेतृत्व एक-एक जिले की स्थिति पर मंथन कर रहा है।
सपा ने विधानसभा चुनाव में 111 सीटों पर विजय हासिल की है। जबकि 14 सीटें सहयोगियों ने जीती हैं। इस तरह सदन में सपा गठबंधन के कुल 125 विधायक हैं। हालांकि विधान परिषद में उसे नेता प्रतिपक्ष का पद गंवाना पड़ा है। माना जा रहा था कि विधानसभा परिषद चुनाव के बाद सभी कमेटियां भंग कर दी जाएंगी, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने तत्काल कमेटी भंग करने के बजाय वस्तु स्थिति का आकलन करना ज्यादा जरूरी समझा।
इस क्रम में प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने सभी महानगर अध्यक्षों एवं जिलाध्यक्षों से विधानसभा क्षेत्रवार हार के कारणों पर रिपोर्ट मांगी और सक्रिय सदस्यों की सूची भी तलब की। विधानसभा क्षेत्रवार आई रिपोर्ट पर शीर्ष नेतृत्व ने माहभर मंथन किया। इसके बाद प्रदेश कार्यालय से एक रिपोर्ट राष्ट्रीय कार्यालय को भी भेजी गई है। अब बदलाव की तैयारी है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पहले फ्रंटल संगठनों की कमेटियों को भंग कर नए सिरे से गठन होगा। इसके बाद मुख्य कमेटी में भी बदलाव होंगे। शीर्ष नेतृत्व की रणनीति है कि लंबे समय से पार्टी में संघर्षशील रहने वाले युवाओं को आगे किया जाए। ताकि वे जनहित के मुद्दे को धमाकेदार तरीके से उठा सकें। सदन में विधायक जनता की आवाज बनेंगे तो सड़क पर संगठन खड़ा रहेगा। ताकि वर्ष 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत का ग्राफ बढ़ाया जा सके।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि अब जिलों में पुराने पैटर्न पर जिलाध्यक्षों का मनोनयन नहीं होगा। जिले की कमान सौंपने से पहले उसकी नेतृत्व क्षमता का आकलन किया जाएगा। संबंधित व्यक्ति की स्वीकार्यता, सामाजिक समीकरण, पार्टी में कार्य करने की स्थिति, संघर्षशीलता आदि की कसौटी पर खरा उतरने वाले को ही जिले की कमान सौंपी जाएगी। कुछ ऐेसी ही स्थिति फ्रंटल संगठनों की भी रहेगी।
सपा में एक तबका ऐसा है, जो लगातार प्रशिक्षण सत्र की वकालत कर रहा है। वह चाहता है कि पार्टी के पदाधिकारी उन्हें ही बनाया जाए, जो समाजवादी अवधारणा से वाकिफ हों। इस दिशा में भी शीर्ष नेतृत्व विचार कर रहा है। पुराने समाजवादियों का मानना है कि पार्टी के सक्रिय सदस्यों को पार्टी की रीति-नीति के साथ सिद्धांतों की भी मुकम्मल जानकारी दी जाए। ताकि वे विभिन्न कार्यक्रमों और गोष्ठियों या अन्य मंचों पर समाजवाद की अलख जगा सकें।

प्रशिक्षण के जरिए डॉ. भीमराव आंबेडकर, डॉ. राम मनोहर लोहिया, चौधरी चरण सिंह और पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह के विचार को सक्रिय कार्यकर्ताओं तक पहुंचाया जा सकता है। इससे वैचारिक स्तर पर पार्टी के सदस्य मजबूत होंगे। प्रदेश अध्यक्ष द्वारा सक्रिय सदस्यों की सूची तैयार कराया जाना, इसी रणनीति का हिस्सा है।

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