अब भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ेंगे कमिश्नर साहब

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खाकी वर्दी उतार खादी पहनने की तैयारी
कन्नौज। पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति के मैदान पर नई पारी का ऐलान करने वाले कानपुर के पहले पुलिस कमिश्नर मूलरूप से कन्नौज के रहने वाले हैं। उनके पिता श्रीराम अरुण दो बार सूबे के डीआईजी रहे हैं। उन्ही के नक्शेकदम पर चलते हुए असीम अरुण ने पहले पुलिस की नौकरी की।
सूबे के तेज-तर्रार आईपीएस अफसरों में शुमार होने के बाद अब उन्होंने खाकी वर्दी उतार कर खादी पहनने का फैसला किया है। उनके इस फैसले ने सभी को चौंका दिया है। सूबे के तेज-तर्रार आईपीएस में शुमार असीम अरुण का ताल्लुक कन्नौज जिले के ठठिया थाना की ग्राम सभा खैरनगर के मजरा गौरनपुरवा से है। उनके पिता श्रीराम अरुण का जन्म इसी गांव में हुआ था।
पिता की ही तरह असीम अरुण ने पुलिस की नौकरी को चुना और 1994 में आईपीएस बने। वह हाथरसत, बलरामपुर, गोरखपुर, अलीगढ़, सिद्धार्थनगर सहित कई जिले के कप्तान रह चुके हैं। असीम अरुण का अपने पैतृक गांव से गहरा ताल्लुक रहा है। पिता की पुण्यतिथि पर वह अपने गांव आते रहे हैं। इस साल भी उन्होंने पिता की पुण्यतिथि पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें कई सीनियर अफसर और नेता भी पहुंचे थे। गांव में ही उनके पिता की ओर से स्थापित स्कूल का संचालन भी होता है।
असीम अरुण का जन्म हालांकि बदायूं में हुआ है, लेकिन अपने पैतृक गांव से उनका गहरा लगाव रहा है। यही वजह है कि वह समय-समय पर यहां आते रहे हैं। कानपुर का पहला पुलिस कमिश्नर बनने के बाद भी वह यहां आते रहे हैं। उनके गांव से लगाव को देखते हुए ही समझा जा रहा है कि सियासत में एंट्री लेने के फैसला किया गया है।
असीम अरुण के भाजपा के टिकट से कन्नौज सदर सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा है। हालांकि उनके टिकट की अभी अधिकारिक रूप से ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन यह तय माना जा रहा है कि वह कन्नौज सीट से ही दावेदारी करेंगे। ऐसा हुआ तो न सिर्फ कन्नौज सीट पर बल्कि बाकी की दोनों सीट पर भी इसका असर पड़ सकता है।
यहां से इस बार टिकट की दावेदारी करने वाले व महीनों से तैयारी करने वाले भाजपा के धुरंधरों को इससे गहरा झटका लग सकता है। पिछली बार इस सीट से भाजपा के पूर्व विधायक बनवारी लाल दोहरे चुनाव लड़े थे। उन्हें शिकस्त मिली थी। इस बार भी उन्हें ही सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था।



असीम अरुण को जानिए
-जन्म: 30 अक्टूबर 1970
-आईपीएस: 1994 बैच
-जिम्मेदारी: कई जिलों के कप्तान, डीआईजी के अलावा एटीएस के मुखिया और डायल 113 के एडीजी भी रहे हैं।
-उपलब्धि: अलीगढ़ के कप्तान रहते हुए 2009 में पहली बार पुलिस की स्वाट टीम का गठन किया था।



असीम अरुण के पिता श्रीराम अरुण को जानिए
-जन्म: 1940 गौरनपुरवा, ठठिया कन्नौज
-आईपीएस: 1963 बैच
-जिम्मेदारी: 03 मई 1997 से 02 अप्रैल 1998 और 23 दिसंबर 1999 से 31 जुलाई 1998 के दौरान सूबे के डीजीपी रहे।
-उपलब्धि: सूबे में आतंकनिरोधी दस्ता (एटीएस) का गठन किया था।

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