सिपाही से बना था दारोगा, पांच हजार रुपये घूस लेने में बर्खास्त

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वाराणसी। पांच हजार रुपये घूस लेने के चक्कर में एक दारोगा को अपनी नौकरी गवानी पड़ी। अपर पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध) सुभाष चंद्र दुबे ने शुक्रवार को उसे बर्खास्त कर दिया। दारोगा महेश सिंह को बर्खास्त करने की सूचना तैनाती जिले जौनपुर में आज भेजी जाएगी। वह मऊ जिले के कोपागंज थाना क्षेत्र के इंदारा मझलीपट्टी गांव का रहने वाला है। अपर पुलिस आयुक्त ने एक सप्ताह में दो दारोगा को बर्खास्त कर चके है जबकि पिछले माह में भी एक दारोगा को बर्खास्त किए थे। उनके इस कार्रवाई से महकमा में अफरा-तफरी मची है। भ्रष्टाचार में शामिल पुलिस कर्मियों की अब खैर नहीं है। उन्होंने कार्रवाई कर संदेश देते हुए अधीनस्थों को चेतावनी भी दी है कि गलत करने पर कार्रवाई तय हैं। जल्द ही और पुलिस कर्मियों पर भी गाज गिरने वाली है।
मार्च 2019 में दारोगा महेश सिंह सिगरा थाने की सोनिया पुलिस चौकी प्रभारी के पद पर तैनात था। जालपा देवी रोड कबीरचौरा निवासी राजकुमार गुप्ता द्वारा दर्ज कराए गए धोखाधड़ी के मुकदमे की विवेचना दारोगा को मिली थी। राजकुमार ने एंटी करप्शन ब्यूरो में शिकायत की थी मुकदमे में कार्रवाई के लिए दारोगा द्वारा बार-बार पैसे की मांग की जाती है। वह कहता है कि 10 लाख रुपये के मामले हैं, तुम पैसे खर्च करोगे तो कार्रवाई तुम्हारे पक्ष में होगी। पीड़िता की शिकायत पर एंटी करप्शन ब्यूरो की ट्रैप टीम ने उसे पांच हजार रुपये देने को कहा। 23 मार्च-2019 को राजकुमार केमिकल युक्त नोट लेकर सोनिया चौकी पहुंचा और दारोगा को जैसे ही थमाया वैसे ही टीम ने उसे घूस लेते हुए रंगेहाथ दबोच लिया। दारोगा के खिलाफ कैंट थाने में मुकदमा दर्ज कर उसे पुलिस को सौंप दिया गया। उसके बाद उसे जेल भेज दिया गया। बता दें कि दारोगा पुलिस विभाग में वर्ष 1994 में सिपाही के पद पर भर्ती हुआ था। उत्कृष्ट सेवा अभिलेख के आधार पर वर्ष 2015 में उसे सिपाही से दारोगा के पद पर पदोन्नत किया गया था। अपर पुलिस आयुक्त का कहना है कि विभागीय जांच में दारोगा दोषी पाया गया है। उस आधार पर उसे बर्खास्त कर दिया गया है। भ्रष्टाचार में शामिल किसी भी पुलिस कर्मी को बख्शा नहीं जाएगा।

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