इत्र कारोबारी के लॉकरों में मिला कुबेर का खजाना

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नोट गिनने के लिए मंगानीं पड़ीं 5 मशीनें
कानपुर। कानपुर निवासी इत्र कारोबारी के ठिकानों पर छापे में डीजीजीआई ने सर्वाेच्च गोपनीयता बरती। गुजरात की टीम ने स्थानीय अफसरों को हवा नहीं लगने दी कि छापा कहां मारा जाना है। इन टीमों को जब कारोबारी के घर पर नोटों का भंडार हाथ लगा तो मुख्यालय के जरिए आयकर विभाग को सूचना दी गई। आयकर अफसरों ने स्टेटबैंक से नोट गिनने की मशीनें मंगाईं और गिनती शुरू हुई, जो देर रात तक जारी रही। करीब 90 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। इनमें से 5 बजे शाम से पहले मिले नोट गिनती के बाद स्टेट बैंक भेजे जा चुके हैं।
सूत्रों के मुताबिक डीजीजीआई टीम को कारोबारी के घर बड़ी रकम मिली तो आयकर विभाग को बुलाना जरूरी हो गया। नियमानुसार आयकर विभाग ही इतनी बड़ी बरामदगी में रकम गिन कर सीज कर सकता है। सूत्रों ने बताया कि रकम दो हजार, पांच सौ और एक सौ रुपए के नोटों की शक्ल में मिली है। खास बात यह कि स्थानीय आयकर अफसरों की सात सदस्यीय टीम छापे में पहुंची। रकम गिनवाई और बैंक भेजी। इनमें डिप्टी, ज्वाइंट और असिस्टेंट डायरेक्टर रैंक के अधिकारी थे। इनमें से एक वरिष्ठ अधिकारी ने छापे और बरामदगी की पुष्टि की लेकिन कुछ ही देर बाद छापों से आयकर विभाग का कोई संबंध होने से ही इनकार कर दिया।
यह छापामारी इतनी गोपनीय रखी गई कि डीजीजीआई के लोकल अधिकारियों को भी कुछ नहीं बताया गया। सूत्रों के मुताबिक अहमदाबाद की टीम ने लोकल के दो अफसरों से बात की। उन्हें बताया गया कि एक ऑपरेशन होना है। इसके लिए बिग बजार चलना है। कानपुर में कई बिग बाजार हैं? कहां पहुंचना है? यह पूछने पर पूछा गया कि कहां-कहां बिग बाजार हैं? जब स्थानीय अधिकारियों ने रावतपुर और परेड के बिग बाजार का नाम लिया तो मना कर दिया गया। दक्षिण कानपुर के बिग बाजार का नाम लेने पर वहीं बुला लिया गया। अधिकारी पहुंचे तो अहमदाबाद की टीम ने उन्हें सीलबंद लिफाफा दिया। कार में बैठने के बाद लिफाफे खोले गए। उसमें कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश थे। इसके बाद टीम ने इत्र कारोबारी के घर पर छापा मार दिया।

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