मंत्री के कमरे से फर्जीवाड़ा

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करोड़ों का ठेका दिलाने के नाम पर व्‍यापारी से की लाखों की वसूली
लखनऊ। पशुधन फर्जीवाड़ा के मुख्य आरोपियों ने सचिवालय के अंदर एक मंत्री के कमरे से ही बेंगलुरु के व्यापारी को सरकारी स्कूल की डायरी और किताबों का 80 करोड़ रुपये का ठेका दिलाने के नाम पर ठगा था।
सचिवालय के अंदर व्यापारी को बुलाकर आशीष राय शिक्षा विभाग का अधिकारी बनकर मिला, फर्जी दस्तावेज दिखाये। फिर अलग-अलग समय में 45 लाख रुपये वसूल लिये। जब काम नहीं मिला तो व्यापारी ने अपने रुपये लौटाने को कहा, इस पर उन्हें धमकी दी जाने लगी। इस बीच ही मुख्य आरोपी के लखनऊ में जेल जाने की भनक लगी तो पीड़ित ने बंगलुरु के राजाजीनगर में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। इसकी पड़ताल करने बंगलुरु पुलिस जब दो दिन पहले लखनऊ पहुंची तो यह राज खुला। बंगलुरु पुलिस ने कोर्ट में आरोपियों आशीष राय, उमा शंकर तिवारी समेत चार आरोपियों की रिमाण्ड लेने के लिये कोर्ट में अर्जी दी है। राजाजीनगर के श्रीनिवास अभिमानी पब्लिकेशंस प्रा. लि. के प्रबन्ध निदेशक हैं। उन्होंने एफआईआर में आशियाना निवासी उमाशंकर तिवारी, शैलेन्द्र दीक्षित, अजीत वर्धा और मुधु अय्यपन पर वर्ष 2018 में सरकारी स्कूलों की डायरी व किताबों की आपूर्ति का ठेका दिलाने की बात कही।
जेल जाने की बात पर उन्होंने पता करना शुरू किया तो सामने आये कि आशीष राय व उमाशंकर तिवारी ही उनसे खुद का परिचय देकर अफसर बनकर मिलते थे। एफआईआर दर्ज करायी।
बेंगलुरु पुलिस आयी तो लखनऊ पुलिस हैरान
दो दिन पहले बंगलुरु पुलिस आरोपियों की रिमाण्ड लेने के लिये लखनऊ पहुंची। उसे पता चला कि पशुपालन फर्जीवाड़े की विवेचना गोमतीनगर से हो रही है। इसके बाद ही बेंगलुरु पुलिस गोमतीनगर थाने, एसीपी गोमतीनगर कार्यालय और जिला जेल पहुंची।
श्रीनिवास ने आरोपियों को अपने आंध्रा बैंक के खाते से 16 अप्रैल, 2018 को पांच लाख रुपये और 17 मई, 2018 को 20 लाख रुपये दिये। इसके अलावा 20 लाख रुपये नकद दिये। उन्होंने उनसे बेसिक शिक्षा विभाग के उपनिदेशक को सम्बोधित स्कूल की डायरी और किताबों की आपूर्ति के सम्बन्ध में दो पत्र लिये। पर उन्हें न तो टेंडर दिया गया और न ही इसका काम दिलाया गया। पिछले साल ही उन्हें पता चला कि जिन लोगों ने रुपये लिये थे, वह पशुधन फर्जीवाड़े में जेल चले गये हैं।
जेल सूत्रों के मुताबिक बंगुलुरु पुलिस नें करीब एक घंटे तक आशीष व उमाशंकर के बयान लिये। इन दोनों ने पहले टालमटोल की लेकिन बाद में सब कुबूला। यहां पर दुभाषिये की मदद भी ली गई क्यों कि बंगलुरु पुलिस को हिन्दी नहीं आती थी।
श्रीनिवास के मुताबिक सचिवालय में उन्हें काफी रौब के साथ प्रवेश दिलाया गया। एक मंत्री के कमरे में ले जाया गया जहां आशीष राय मिला और अपना परिचय शिक्षा विभाग के एक बड़े अधिकारी के रूप में दिया। उनके सामने की कई बाबू बुलाये गये और बाकायदा स्कूली बच्चों की डायरी छपने के लिये टेंडर का विज्ञापन दिखाया गया। सचिवालय के अंदर दो बार जाने के बाद उन्हें भी लगा कि सब सही है।

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