चुनावी रण के लिए अखिलेश ने कसी कमर

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परंपरागत जातीय समीकरण के बजाए प्रदेश कमेटी में गैर यादव पिछड़ों को दी तवज्जो
लखनऊ। समाजवादी पार्टी की राज्य कमेटी में अगले विधानसभा चुनाव की तैयारियों की छाप साफ नजर आती है। पार्टी ने अपने परंपरागत जातीय समीकरण के बजाए गैर-यादव पिछड़ी जातियों को अब तवज्जो देना शुरू कर दिया है। इसका संकेत नई कमेटी में विभिन्न जातियों को दिए गए प्रतिनिधित्व से पता चलता है।
मिशन-22 की चुनौतियों के बीच बनी इस कमेटी में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अति पिछड़ी जातियों को खासी अहमियत दी है। 40 प्रतिशत से ज्यादा नुमाइंदगी तो इन्हीं जातियों की है। संतुलन बिठाने के लिए ब्राह्मण समाज के 10 नेताओं को कमेटी में रखा गया है। भाजपा व बसपा द्वारा ब्राह्मणों को लुभाने के लिए किए जा रहे तमाम जतन की काट के लिए सपा भी पीछे नहीं है। पार्टी में यह रणनीतिक बदलाव अगले विधानसभा चुनाव में इन जातियों को अपने पक्ष में गोलबंदी के रूप में देखा जा रहा है। इसी तरह का ट्रेंड सपा की अगले महीने आने वाली प्रत्याशियों की सूची में देखने को मिलेगा। एक वक्त था कि मुलायम सिंह यादव ने यादव मुस्लिम का सशक्त वोट बैंक तैयार कर बाकी जातियों को इसके साथ जोड़ा और अपनी ताकत बढ़ाई। अब नई कमेटी में इसका स्थान अतिपिछड़ी जातियों ने ले लिया है। यादव समुदाय से 7 को ही कमेटी में स्थान मिला है। मुस्लिम समाज से 11 को पदाधिकारी बनाया गया है। एक सिख व एक भूमिहार को भी स्थान मिला है।
निषाद-कश्यप को लुभाने की कोशिश-अतिपिछड़ी जातियों को लुभाने के लिए सपा ने कमेटी में इस वर्ग को सबसे ज्यादा अहमियत दी है। यही कारण है कि निषाद-कश्यप समुदाय के 8 पदाधिकारी रखे गए हैं। यादव, कुर्मी के अलावा बिंद, पाल, मौर्य, कुशवाहा, प्रजापति, सैनी, साहू, गूर्जर जाति को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है। कई प्रमुख नेता मसलन गाजीपुर के ओम प्रकाश सिंह, बाराबंकी से अरविंद सिंह गोप जैसे कई प्रमुख नेता कमेटी में स्थान नहीं पा सके जबकि विधायक संग्राम सिंह, अमिताभ वाजपेयी को कमेटी में रखा गया है। एमएलसी आनंद भदौरिया, सुनील साजन भी कमेटी का हिस्सा बनने में कामयाब रहे। कमेटी में पांच महिलाएं ही स्थान पा सकीं हैं। दिलचस्प बात यह है कि बसपा से सपा में आने वाले तीन लोग ही कमेटी का हिस्सा बन सके हैं।
2016 मे बने थे नरेश उत्तम पटेल प्रदेश अध्यक्ष-पिछले विधानसभा चुनाव से पहले सपा में अंतर्कलह के दौर में अखिलेश यादव ने नरेश उत्तम पटेल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। गैर-यादव को यूपी सपा की कमान देकर तभी अखिलेश यादव ने भविष्य की सियासत का संकेत दिया था लेकिन प्रदेश कमेटी दो चुनाव गुजर जाने के बाद अब मुकम्मल तौर पर सामने आ सकी है।

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