मंत्री बनकर लिपिक ने एसएसपी को किया फोन, जानिए फिर....

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बरेली। मंत्री, सांसद बनकर एसएसपी को इज्जतनगर के एक प्लाट के मामले में फोन कर पैरवी करने वाले इंटर कालेज के एक लिपिक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ इज्जतनगर थाने में धोखाधड़ी जालसाजी का मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपी के पास से उत्तर प्रदेश सरकार की नंबर प्लेट लिखी लग्जरी गाड़ी, चार मोबाइल सिम, फेक आईडी बरामद की गई है। आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया। जहां से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एसएएसपी रोहित सिंह सजवान ने बताया कि बदायूं में बिल्सी के अंबियापुर गांव का रहने वाला नीरेश वर्मा इज्जतनगर में लोटन सिंह के विवादित प्लाट के मामले में पैरवी कर रहा था। उसने लोटन सिंह से पैरवी के बदले 20 लाख रुपये लिये थे। इसके बाद उसने पहले इज्जतनगर थाने के चौकी इंचार्ज ब्रजेश को बदायूं की सांसद डा. संघ मित्रा बनकर फोन किया। चौकी इंचार्ज से जब उससे मदद नहीं मिली तो उसने लखीमपुर में धौरहरा की सांसद और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा वर्मा बनकर एसएसपी रोहित सिंह सजवाण को फोन किया। पहली बार उसने लोटन सिंह के प्लाट से कब्जा हटवाने को कहा। अगली बार फोन कर उसने चौकी इंचार्ज को हटाने के लिये कहा। तीसरी बार उसने फिर चौकी इंचार्ज को लेकर एसएसपी को फोन किया। जिस पर एसएसपी को शक हुआ।
इसके बाद उन्होंने सर्विलांस टीम को नंबर देकर आरोपी की जांच कर उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से वाइस चेंजर वाला मोबाइल, चार सिम भी मिले हैं। आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी, आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया है। खुलासा करने वाली टीम में इंस्पेक्टर इज्जतनगर संजय धीर, एसओजी इंचार्ज अभिषेक कुमार, एसआई अजयपाल सिंह समेत कई लोग थे।
आरोपी नीरेश वर्मा बदायूं के बिल्सी में अंबियापुर गांव का रहने वाला है। एमए बीएड पीएचडी करने के बाद इन दिनों वह कछला के राधेश्याम इंटर कॉलेज में क्लर्क का काम कर रहा था। उसने पत्राचार के जरिये पीएचडी करने का दावा किया। हालांकि उसके दावे में सच्चाई नहीं है।
नीरेश वर्मा के ससुर मध्य प्रदेश शासन में सचिव रहे हैं। हाल ही में वह रिटायर हुये हैं। नीरेश ने उनकी बेटी से प्रेम विवाह किया है। ससुर शासन में सचिव होने की वजह से उसे तौर तरीके पता थे। उसकी फियट गाड़ी में पुलिस का लोगो और उत्तर प्रदेश सरकार की नंबर प्लेट लगी थी।
इंटर कालेज का एक क्लर्क जल्द अमीर बनने के लालच में राजनीति के चंगुल में फंस गया। नेताओं से पैरवी करवाकर दलाली करने के चक्कर में उसके बीस लाख रुपये फंस गये। नेताजी ने जब बेरुखी की तो वह खुद ही फर्जी मंत्री बन गया। फर्जी मंत्री और पीएस बनते ही वह पुलिस के शिकंजे में आ गया। दस लाख रुपये तो उसने लोटन सिंह के मंत्री जी से वापस करवा दिये थे, लेकिन दस लाख रुपये नहीं मिले थे। उन्हीं दस लाख रुपये का काम करवाने के चक्कर में वह सलाखों के पीछे चला गया।
पुलिस हिरासत में नीरेश ने बताया कि वह मंत्री और सांसदों के साथ उठता बैठता रहता है। उनके बात करने और धमकाने के तरीके को देखता था। उसने कई लोगों के काम भी नेताओं से करवाये। जिसके उन्हें रुपये दिये। इज्जतनगर के एक प्लाट के सिलसिले में उसने नेताजी को बीस लाख रुपये दिलवाये थे। मामला फंसा और दस लाख रुपये बकाया रह गये तो वह खुद ही मंत्री बन गया। अपने ही बुने जाल में फंसकर उसने कभी प्रदेश सरकार में मंत्री मुकुट बिहारी, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, सांसद रेखा वर्मा, सांसद संघ मित्रा मौर्या बनकर पुलिस अधिकारियों को फोन कर डाले।
अमेजान से मंगाया वाइस चेंजर मोबाइल
आवाज बदलने के लिए उसने ऑनलाइन चाइनीज फोन खरीदा। जिसमें वह महिला, बच्चे, बुजुर्ग और पुरूष किसी की भी आवाज में बात कर सकता था। वह पहले खुद मंत्री का पीएस बनकर काल लगाता था। काल रिसीव होने के बाद वह कहता था कि सांसद जी बात करेंगी। इसके बाद वाइस चेंजर का इस्तेमाल कर महिला की आवाज में कुछ ही सेंकेड में बात शुरू कर देता था। इसकी वजह से फोन सुनने वाले को लगता था कि महिला ही बोल रहीं हैं।

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