22 साल की आयु में आइपीएस बने आदर्श कांत शुक्ल

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बाराबंकी। मयूर बिहार कालोनी के 22 वर्षीय आदर्श कांत शुक्ल का चयन संघ लोकसेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा-2020 में हो गया है। उन्होंने परीक्षा में 149वीं रैंक हासिल की है। घर पर रहकर पढ़ाई करते हुए उन्हें पहले प्रयास में ही यह सफलता मिली है। उनकी सफलता से परिवार में खुशी का माहौल है और लोगों की बधाइयां मिल रही हैं।
रामनगर तहसील के बाढ़ प्रभावित इलाके के ग्राम मड़ना के मूल निवासी आदर्श के पिता राधाकांत शुक्ल निजी फर्मों में एकाउंटेंट का काम करते हैं। करीब 20 साल पहले गांव से जिला मुख्यालय पर आ गए थे। पहले किराए के मकान में रहते थे, धीरे-धीरे अपना मकान ओबरी स्थित मयूर बिहार कालोनी में बनाया। पत्नी गीता शुक्ला गृहिणी हैं। पुत्र आदर्श व पुत्री स्नेहा शुक्ला दो संतानें हैं। राधाकांत बताते हैं कि सिविल सर्विसेज उनका सपना था। परिस्थितियां बेहतर न होने के कारण तैयारी करने के बाद परीक्षा नहीं दे सके थे। अब बेटे ने मेरे सपने को पूरा कर दिया।
आदर्श ने सांई इंटर कालेज लखपेड़ाबाग से हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा अच्छे अंकों से हासिल की थी। नेशनल पीजी कालेज लखनऊ से उन्होंने भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित यानी पीसीएम से बीएससी की थी। अंतिम वर्ष में भौतिक विज्ञान और गणित विषय थेद। इसमें उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया था। इसके बाद यूपीएससी की तैयारी कर पिछले साल परीक्षा दी। परीक्षा के समय इनकी आयु 21 वर्ष ही थी। आदर्श की बहन स्नेहा एलएलएम करने के बाद पीसीएस जे की तैयारी कर रही हैं। आदर्श का कहना है कि उनकी उपलब्धि में उनके माता-पिता का अहम योगदान है। आदर्श कहते हैं कि ईमानदारी और मेहनत से पढ़ाई को कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने बताया कि सात-आठ घंटे मेहनत से पढ़ाई करके यह सफलता हासिल की है। वैकल्पिक विषय के रूप में समाजशास्त्र को रखा था। उनकी पहली पसंद आइएएस, दूसरी आइपीएस और तीसरी आइआरएस थी। आदर्श बताते हैं कि उनका चयन आइपीएस के लिए हुआ है। सिविल सर्विसेज के प्रतियोगियों के लिए उनका कहना है कि सकारात्मक सोच, दृढ़ संकल्प और ईमानदारी से मेहनत करने से सफलता मिलना तय है।

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