आजमगढ़ : मध्यम वर्ग के माथे पर दिख रहीं लॉकडाउन की लकीरें

Youth India Times
By -
0


रोजमर्रा का जीवन जीने वाले लोगों के सामने आया रोजी-रोटी का संकट

-राजेश यादव
आज़मगढ़। कोरोना महामारी का दूसरा रूप विस्तारित और विनाशकारी साबित हो रहा है।
इस दौरान रोजमर्रा का जीवन जीने वाले लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। बता दें कि जब पहली बार कोरोना की दस्तक हुई थी तो उस समय गरीबों की मदद करने के लिए स्वयंसेवी संस्थायें, समाजसेवी तथा धनी लोग हो अथवा जनप्रतिनिधियों ने अपना हाथ आगे बढ़ाया था। अभी तक उक्त महानुभाव जो निर्धन समाज के लिए खुद से सहयोग कर विगत कोरोना काल में राहत पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायें थे, उन्हे एक बार फिर आगे आने की जरूरत है। जनप्रतिनिधि तो सरकारी धन से आक्सीजन प्लांट का भूमि पूजन कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे हैं। जबकि सरकार इस बार निर्बल और असहाय वर्ग के लिए कुछ विशेष नहीं कर रही है। कोटे के माध्यम से पांच किलो आनाज मिलने की बात कही जा रही है वह भी 20 मई के बाद ही संभव प्रतीत हो रहा है। लाकडाउन के दौरान अनेक प्रकार के छोटे व्यापारी और रोज कमाने खाने वालों के लिए फांकाकसी के हालात पैदा हो गये हैं। दुकाने बन्द होने से तमाम मजदूरों का धन्धा बन्द हो गया है।
बिल्डिंग मैटेरियल की दुकानें बन्द होने से राजगीर और हेल्पर भी हाथ पर हाथ रखकर बैठ गये हैं। पल्लेदारों को भी काम का टोटा पड़ गया है। इसके साथ ठेला खोमचा लगाने वाले भी कंगाली के दौर से गुजर रहे हैं। पटरी पर दुकान लगाने वाले भी घर बैठ गये हैं। ऐसे लोगों के घर में कब तक चूल्हा जलता रहेगा यह उनके समझ में नहीं आ रहा है। अगर ऐसे लोगों की मदद नहीं हुई तो कोरोना से भूख और सन्तुलित भोजन के अभाव में कुपोषण तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से भी मौत होने लगेगी। ऐसे हालत में सामर्थ्यावान लोगों को असहायों के दुख और भूख की समस्या के निदान के लिए आगे कदम बढ़ाना होगा, तभी समाज का निर्बल वर्ग जीवित रह पायेगा।
ज्ञात हो कि कारोना की पहली लहर के दौरान समाज के विभिन्न वर्ग आगे आकर भोजन का पैकेट, खाद्यान्न और देैनिक उपयोग के सामान का पैकेट अनवरत वितरित कराया था और जिला प्रशासन ने भी अपील कर तमाम अधिकारी, कर्मचारी और विभागों तथा संपन्न लोगों से मदद पहुंचाया था परन्तु इस बार ऐसा न होना रोजमर्रा के जीवन जीने वाले और गरीबों के लिए निहायत कष्टकारी और दुःखदायी साबित हो रहा है।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)