इलाहाबाद हाईकोर्ट का उप्र सरकार को सख्त आदेश

Youth India Times
By -
0



हर जिले में 48 घंटे के भीतर खोले जाएं कोविड शिकायत सेल
प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों व कस्बों में कोरोना संक्रमण के फैलने पर चिंता जताते हुए कहा कि सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अभी भी कोरोना से पीड़ित मरीजों के उपचार की सुविधाएं नहीं हैं। लोग इलाज के अभाव में मर रहे हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से छोटे कस्बों, शहरों और गांवों में सुविधाओं तथा टेस्टिंग का ब्यौरा मांगा है। कोराना पीड़ित मरीजों को जीवन रक्षक दवाएं और सही इलाज न मिलने की शिकायतों की जांच के लिए कोर्ट ने 48 घंटे के भीतर हर जिले में कोविड शिकायत प्रकोष्ठ खोलने के आदेश दिए हैं। इसमें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट स्तर का न्यायिक अधिकारी, मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर व एडीएम रैंक के एक प्रशासनिक अधिकारी इस कमेटी के सदस्य होंगे। ग्रामीण इलाकों में तहसील के एसडीएम से सीधे शिकायत की जा सकेगी जो शिकायतों को शिकायत समिति के समक्ष भेजेंगे।
कोविड 19 महामारी की रोकथाम और इंतजामों की निगरानी कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने बहराइच, बाराबंकी, बिजनौर, जौनपुर और श्रावस्ती जैसे छोटे जिलों में स्वास्थ्य सुविधाओं और कोरोना से लड़ने के लिए आवश्यक जीवन रक्षक सुविधाओं का ब्यौरा अगली तारीख पर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में की गई टेस्टिंग का भी रिकॉर्ड तलब किया है। अगली सुनवाई 17 मई को होगी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पिछले निर्देशों के पालन में अपर सॉलिसिटर जनरल द्वारा प्रस्तुत हलफनामे को असंतोषजनक करार देते हुए 27 अप्रैल को हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार अस्पतालों द्वारा मेडिकल बुलेटिन जारी करने, ऑक्सीजन व जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता से संबंधित जानकारियां हलफनामे में नहीं दी गई हैं। कोर्ट ने कोविड मरीजों को अस्पतालों में उपलब्ध कराए जा रहे पौष्टिक आहार और कोर्ट ने कोरोना से हुई मौतों का तारीखवार ब्यौरा उपलब्ध न कराने पर भी नाखुशी जाहिर की है। एएसजीआइ ने अगली सुनवाई पर आदेशों के अनुपालन की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का कोर्ट को आश्वासन दिया। दिव्यांगजन को वैक्सीन लगाने के बारे में दिए गए आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार का कहना था कि वह केंद्र सरकार की गाइडलाइन का ही पालन कर रही है। केंद्र की गाइडलाइन में इस बारे में कोई निर्देश दिया गया है। इसी प्रकार से 45 से कम आयु के लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए पंजीकरण अनिवार्य करने के मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि अशिक्षित लोगों और मजदूर जो स्वयं अपना ऑनलाइन रिजस्ट्रेशन करने में सक्षम नहीं हैं को वैक्सीन लगाने के मामले में क्या योजना है। कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि दिव्यांग जनों को वैक्सीन लगाने के लिए खुद की नीति बनाने में उसे क्या दिक्कत है।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)