ऑक्सीजन के अभाव में एक दर्जन से अधिक की मौत

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आगरा। अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म होने पर सोमवार रात से मौतों का सिलसिला शुरू हुआ। यह मंगलवार देर रात तक चलता रहा। इस दौरान ऑक्सीजन न मिलने पर कितने लोगों की मौत हुई, कहा नहीं जा सकता। एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत की जानकारी सामने आई है।
सोमवार सुबह से शहर के तमाम अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी हो गई थी। कुछ अस्पतालों ने सिलेंडर के भरोसे काम चलाया। देर रात हालात और बिगड़ गए। मौतों का सिलसिला शुरू हो गया। शुरूआत भगवान टॉकीज के पास स्थित पारस अस्‍पताल से हुई। यहां तीन लोगों की जान चली गई। इसी रात उपाध्याय हॉस्पिटल शमसाबाद रोड पर दो लोगों की मौत हुई। अचानक खत्म हुई ऑक्सीजन के बाद अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। लोग गाड़ियों में सिलेंडर लेकर आए और अपने मरीजों को ले गए।
मंगलवार सुबह यमुनापार क्षेत्र से बुरी खबर आई। यहां मंडी समिति के नजदीक एपेक्स अस्पताल में भर्ती तीन लोगों ने दम तोड़ दिया। मृतकों में पुष्पा शर्मा पत्नी अशोक शर्मा उम्र करीब 67 वर्ष, निधौली कलां के आलोक कुमार पुत्र प्यारेलाल उम्र करीब 50 वर्ष, फतेहाबाद की पुष्पा श्रीवास्तव उम्र 75 वर्ष शामिल हैं। इनके परिजनों ने बताया कि सभी की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है। ट्रांस यमुना के श्रीकृष्णा अस्पताल में मंगलवार को तीन लोगों की मौत हुई है। खुद अस्पताल के संचालक डॉ. अरविंद यादव ने इसकी पुष्टि की है।
एसआर अस्पताल में सोमवार रात से ऑक्सीजन का संकट चल रहा था। मंगलावर सुबह वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र प्रताप सिंह के भाई का निधन हो गया। भाजपा जिलाध्यक्ष गिर्राज सिंह कुशवाह के पिता सोबरन सिंह कुशवाह का भी निधन हुआ है। इसी तरह आरोग्य हॉस्पिटल सिकंदरा में भर्ती मनोज सिसोदिया (34 वर्ष) ने दम तोड़ दिया। जगदीशपुरा के बहादुर सिंह (68 वर्ष) कई दिनों से बीमार थे। सप्ताह भर से किसी अस्पताल में बेड नहीं मिला। घर पर इलाज के लिए सिलेंडर का इंतजाम नहीं हो पाया। मंगलवार शाम इनका भी निधन हो गया।
सिद्धि विनायक अस्पताल हरीपर्वत में सुबोध गौतम (59 वर्ष) का इलाज चल रहा था। उनकी आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव थी, लेकिन फेफड़ों में संक्रमण था। सोमवार रात को ऑक्सीजन खत्म हो गई। छोटे भाई हितेंद्र गौतम ने पहले अस्पताल को ऑक्सीजन दिलाने के लिए प्रयास किए। अपने संपर्क वालों से दिल्ली तक सिफारिश कराई। डीएम ने भी सिलेंडर दिलाने का आश्वासन दिया। कुछ न हुआ तो हितेंद्र खुद कई एजेंसियों के चक्कर लगाते रहे। कहीं से ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं हुआ। आखिर में उनके भाई ने दम तोड़ दिया। हितेंद्र ने रोते हुए हिन्दुस्तान को बताया कि- ‘इस लचर व्यवस्था ने उनके सिर से भाई का साया छीन लिया। पिता के जाने के बाद भाई का सहारा था। अब वे अकेले पड़ गए हैं।’
सोमवार रात में कोविड का इलाज कर रहे अधिकतर अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म हो गई थी। लिहाजा अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिए थे। गेट पर नोटिस लगा दिया था कि उनके यहां ऑक्सीजन कुछ ही देर के लिए है। इसके खत्म होने पर मरीजों का जीवन संकट में पड़ सकता है। लिहाजा तीमारदार मरीजों का इंतजाम कहीं और कर लें। इस पर घबराए तीमारदार मरीजों को यहां से निकाल ले गए। जाहिर है कि उन्हें कहीं अस्पताल नहीं मिला होगा। ऐसे कई लोगों की घरों पर मौत होने की खबरें हैं। लेकिन यह पुष्ट नहीं हो पाई हैं। इनका आंकड़ा बड़ा हो सकता है। श्मशान और कब्रिस्तानों में भी दूसरी लहर के दौरान मंगलवार को सबसे अधिक शव आए हैं।

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