फाइनल आरक्षण लिस्ट को लेकर सीएम योगी का सभी डीएम को दिशा निर्देश

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लखनऊ | इलाहाबाद हाईकोट द्वारा पंचायत चुनाव में विभिन्न पदों की सीटों के आरक्षण की आज (शनिवार 13 मार्च को) प्रकाशित होने वाली अंतिम सूची के प्रकाशन पर रोक लगा देने के बाद राज्य के अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को शुक्रवार की शाम जरूरी निर्देश जारी कर दिए हैं।
मनोज सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को परिपत्र जारी कर निर्देश दिये हैं कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन के क्रम में पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण की अंतिम सूची का प्रकाशन अगले आदेशों तक न किया जाए। इस परिपत्र में कहा गया है कि अजय कुमार बनाम राज्य सरकार की याचिका पर शुक्रवार को हाईकोर्ट ने 1994 की नियमावाली के नियम 4 के आधार पर सभी जिलों में पंचायत चुनाव के लिए ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र व जिला पंचायत सदस्य, ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष की सीटों के आरक्षण की शनिवार को प्रकाशित की जाने वालीअंतिम सूची पर रोक लगा दी है। इस मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को होनी है। इसलिए हाईकोर्ट के उपरोक्त आदेश के अनुपालन के क्रम में शासन के अग्रिम आदेशों तक पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण एवं आवंटन की कार्यवाही को अंतिम न किया जाए
अजय कुमार की जनहित याचिका पर पारित किया। याचिका में 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किये जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, सेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है। कहा गया कि आरक्षण लागू किये जाने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए।याचिका में आगे कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किये जाने को कहा गया। उक्त शासनादेश में ही कहा गया कि वर्ष 2001 व 2011 के जनगणना के अनुसार अब बड़ी मात्रा में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किय अजाना उचित नहीं होगा। कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 के उक्त शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया। जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है। यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे।

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