कानपुर : TTE बनकर ट्रेन में रखवाए थे 1.40 करोड़ रुपए से भरा बैग

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                                                                                      कानपुर। स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के पैंट्रीकार में 1.40 करोड़ रुपए भरा बैग रखवाने वाले ने खुद को टीटीई बताया था। शुक्रवार को पैंट्रीकार के मैनेजर ने जीआरपी को यह बयान दिया। वहीं, बैग का कोई दावेदार अब तक सामने नहीं आया है।

जीआरपी प्रभारी राममोहन राय को बिहार निवासी पैंट्रीकार मैनेजर रंजन ने बताया कि बीते सोमवार रात लगभग 9 बजे दिल्ली स्टेशन पर काला कोट पहने एक व्यक्ति उनके पास आया। उसके साथ बैग लिए एक दूसरा युवक भी था। कोट वाले ने अपने को टीटीई बताया और दूसरे युवक से पैंट्रीकार में बैग रखवा दिया। कहा कि बैग रेलवे अफसर का है। कानपुर में इसे कोई न कोई उतार लेगा। कानपुर सेंट्रल पर एक व्यक्ति आया और बैग ले गया। इस कारण कोई आशंका नहीं हुई। पुलिस ने बयान लेने के बाद पैंट्रीकार मैनेजर को बिहार वापस भेज दिया है। जीआरपी प्रभारी ने बताया कि पैंट्रीकार मैनेजर ने एक-दो बातें और बताई हैं। पुलिस ने अपनी जांच में उन बिंदुओं को भी शामिल किया है।     

रेलवे पुलिस ने बताया कि पैंट्रीकार के मैनेजर रंजन के बयान दर्ज कर लिए गए हैं। जरूरत पड़ने पर रंजन को दोबारा बुलाकर दिल्ली ले जाया जाएगा। घटना वाले दिन यानी 15 फरवरी-2021 को दिल्ली स्टेशन पर जितने टीटीई की ड्यूटी थी, उन सभी को बुलवा शिनाख्त परेड कराई जाएगी।

पैंट्रीकार मैनेजर के बयान के बाद इस मामले में कई सवाल फिर खड़े हो गए हैं। दिल्ली स्टेशन पर मैनेजर को टीटीई बने शख्स ने बैग रेलवे अफसर का बताया। फिर यहां कॉमर्शियल और आरपीएफ कंट्रोल रूम में रेलवे के इंटरकॉम का इस्तेमाल करके बैग उतरवाया गया। 15 घंटे तक मामला कॉमर्शियल कंट्रोल, आरपीएफ और जीआरपी के बीच चलता रहा। 16 फरवरी को रात लगभग 12 बजे जीआरपी ने बैग से 1.40 करोड़ रुपए बरामद किए। फिर भी पुलिस की जांच कछुआ चाल चल रही है। इससे बल मिल रहा है कि रुपए कानपुर ही आने थे। यह भी आशंका है कि कहीं न कहीं इससे रेलवे की कनेक्टिविटी किसी न किसी रूप में जरूर है। एक दिन पहले रेलवे पुलिस के एक अफसर ने आशंका भी जताई थी कि रेलवे का इंटरकॉम कई तरह की आशंकाएं पैदा करता है।

कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर सोमवार-मंगलवार की रात लगभग 3 बजे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस की पैंट्रीकार से बैग उतारा गया था। चार दिन बाद भी जीआरपी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची है। रुपए बरामदगी के दौरान ही जांच के कई ऐसे बिंदु सामने आ गए थे कि उन पर पुलिस गंभीरता से काम करती तो शायद अब तक पूरे प्रकरण का पर्दाफाश हो चुका होता। अब तक तो दिल्ली से सीसीटीवी फुटेज ही नहीं मंगाए गए हैं और न ही रेलवे इंटरकॉम पर आई कॉल की डिटेल जुटाने को कोई सार्थक पहल हुई है। इस मामले में पुलिस की कछुआ गति से पड़ताल भी कई सवाल खड़े कर रही है। वैसे पुलिस ने दो संदिग्ध कुरियर एजेंटों को हिरासत में लेकर पूछताछ की पर कोई ठोस जानकारी न मिलने पर उन्हें छोड़ भी दिया।

सेंट्रल स्टेशन पर पहुंची स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस के पैंट्रीकार से बैग उतारा गया। बैग मंगवाने वालों ने रेलवे के इंटरकॉम पर रात दो से सुबह चार बजे तक कई कॉल कीं। सेंट्रल स्टेशन के परिसर से बैग बाहर मंगवाने के लिए एक व्यक्ति को भेजा गया। अफसरों के नाम पर फोन के चलते 15 घंटे तक बैग इधर से उधर घूमता रहा। शक होने पर अधिकारियों ने बैग खोला तो 1.40 करोड़ रुपए निकले।

बैग में मिले रुपए की कस्टडी कौन लेगा, अभी तक यह तय नहीं हो सका है। आयकर अधिकारी गुरुवार को आधे घंटे के लिए पहुंचे और फिर कोई बात नहीं की। जीआरपी इंस्पेक्टर राम मोहन राय के मुताबिक आयकर अधिकारियों के जवाब का इंतजार कर रहे हैं। वह दूसरे दिन भी नहीं आए हैं। इस कारण शुक्रवार को रिजर्व बैंक और स्टेट बैंक अफसरों से संपर्क किया गया है। कोषागार में कैश रखवाने के लिए जिला प्रशासन से शनिवार को बात करेंगे। एक-दो दिन में आयकर विभाग के अफसर नहीं आते हैं तो बैंक और प्रशासनिक अफसरों से मिलकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

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