बावन बाबा दशकों तक आध्यात्मिक एवं सामाजिक उत्थान के कार्यों में रहे सक्रिय
आजमगढ़। अघोर परंपरा के अग्रणी संवाहक और निष्ठावान सिद्ध संत पूज्य बावन बाबा ने शुक्रवार को 79 वर्ष की आयु में अपने नश्वर शरीर का त्याग कर दिया। उनके शिवलोक गमन की खबर से अघोर श्रद्धालुओं में शोक की लहर दौड़ गई। हजारों भक्तों की आस्था के प्रतीक रहे बावन बाबा का अंतिम संस्कार समाधि के रूप में होगा।
जिले के निवासी पूज्य बावन बाबा का जन्म आजमगढ़ की पावन धरती पर हुआ था। बचपन से ही साधु वृत्ति के धनी बावन बाबा ने किशोरावस्था में गृह त्याग कर दिया और भ्रमण के दौरान परम पूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु बाबा अवधूत भगवान राम जी की शरण में पहुंचे। उनके आदेश पर उन्होंने अघोर परंपरा को अपनाया और जीवनभर इसका प्रचार-प्रसार किया। वाराणसी स्थित विश्वविख्यात तीर्थस्थान 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड' के सिद्ध साधक के रूप में प्रसिद्ध बावन बाबा वर्तमान पीठाधीश्वर परम पूज्य अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी के अति प्रिय शिष्य थे। वे उन्हें 'महादेव' कहकर पुकारते थे। दशकों तक बाबा कीनाराम स्थल से जुड़े विभिन्न आश्रमों में सेवा देने वाले बावन बाबा आध्यात्मिक एवं सामाजिक उत्थान के कार्यों में सक्रिय रहे। उनकी सरल वाणी, सौम्य व्यक्तित्व और भक्तों की समस्याओं का सहज समाधान उन्हें जन-जन का प्रिय बनाता था।
समाज में अघोर परंपरा के प्रहरी के रूप में जाने जाने वाले बावन बाबा 'अघोरपीठ कैथी शंकरपुर', लालगंज, आजमगढ़ के व्यवस्थापक भी रहे। भक्त उन्हें अघोराचार्य महाराजश्री के शिवत्व की गाथाएं सुनाने के लिए याद करते थे। परम पूज्य अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी के दिशा-निर्देशन में पूज्य बावन बाबा को 08 नवंबर को आजमगढ़ जिले के 'अघोरपीठ कैथी शंकरपुर' आश्रम में समाधि दी जाएगी। अघोर समुदाय ने बावन बाबा के गमन को अपूरणीय क्षति बताया है। वे भले ही स्थूल शरीर छोड़ गए हों, लेकिन अघोर परंपरा के संवाहक के रूप में हमेशा श्रद्धालुओं के हृदय में जीवित रहेंगे।
