आजमगढ़। सुहेलदेव विश्वविद्यालय में द्वितीय दीक्षांत समारोह की तैयारियों के बीच सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत राजभवन के निर्देश पर विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांवों—धरवारा, सोनापुर, समेंदा, महरुपुर और सिहीं—के आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकर्त्रियों और सहायिकाओं के लिए एक कार्यशाला का आयोजन बुधवार को कुलपति सभागार में संपन्न हुआ। इस कार्यशाला का उद्देश्य विश्वविद्यालय को गांवों और समाज से जोड़ना था, जैसा कि राज्यपाल की मंशा रही है। मीडिया प्रभारी डॉ. प्रवेश कुमार सिंह ने बताया कि कार्यशाला में पांचों गोद लिए गांवों की आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों और सहायिकाओं ने कुलपति के साथ सीधा संवाद स्थापित किया। कुलपति ने अपने संबोधन में कहा, भारत गांवों का देश है और इसकी आत्मा गांवों में बसती है। आंगनबाड़ी केंद्र देश के नौनिहालों के स्वास्थ्य और प्री-नर्सरी शिक्षा का ध्यान रखते हुए स्वस्थ और शिक्षित भारत की नींव तैयार करते हैं।
डॉ. प्रवेश सिंह ने आंगनबाड़ी के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए इसे सरकार का एक महत्वपूर्ण सामाजिक उपक्रम बताया। उन्होंने बताया कि ये केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य और प्रारंभिक शिक्षा को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। कार्यशाला का संचालन आंगनबाड़ी और विद्यालय प्रतियोगिता प्रभारी ले. डॉ. पंकज सिंह ने किया। कुलसचिव डॉ. अंजनी कुमार मिश्र ने आभार व्यक्त करते हुए कुलाधिपति और कुलपति के सामाजिक प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर डॉ. जय प्रकाश यादव, डॉ. आनंद कुमार सिंह, विश्वविद्यालय के अतिथि प्रवक्ता, आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकर्त्रियां, सहायिकाएं विपिन शर्मा, मुलायम, धर्मेंद्र पाण्डेय, लोकेश आदि सक्रिय रूप से उपस्थित रहे।


