एसएसपी कार्यालय पहुंची युवती ने पूरी घटना से कराया अवगत
कहा ज्ञानेन्द्र मिश्रा सहित सभी आरोपी हैं बेकसूर, एसएसपी से मांगा न्याय
आजमगढ़। जनपद के जीयनपुर नगर पंचायत के मोहल्ला नौसहरा निवासी लोकोपायलट दुर्गेश कुमार की कथित हत्या-आत्महत्या मामले ने नया मोड़ ले लिया है। जिस युवती के साथ दुर्गेश का प्रेम प्रसंग बताया जा रहा था, वह बृहस्पतिवार को सीधे पुलिस अधीक्षक (एसपी) कार्यालय पहुंची और सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि उसके परिवार को झूठा फंसाया जा रहा है। युवती ने आरोप लगाया कि दुर्गेश लंबे समय से उसे धमकाता और ब्लैकमेल करता था।
पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंची युवती ने बताया कि दुर्गेश से उसकी पहचान पढ़ाई के दौरान हुई थी। वह लगातार दबाव बनाकर संबंध बनाने के लिए मजबूर करता रहा। युवती के मुताबिक, जब उसने विरोध किया तो दुर्गेश ने आत्महत्या की धमकियां देना शुरू कर दीं और यहां तक कि अपने हाथ काटने और जहर खाने के वीडियो बनाकर भेजता था। डर और समाज की इज्जत के चलते युवती को कई वर्षों तक चुप रहना पड़ा।
युवती ने आरोप लगाया कि दुर्गेश के परिवार वाले अब उसकी मौत को आत्महत्या न मानकर हत्या करार देकर उसके परिवार और गांव के ही एक शिक्षक ज्ञानेंद्र मिश्रा को फंसा रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि दुर्गेश ने खुद अपनी जिंदगी खत्म की। उसने पहले भी कई बार यह धमकी दी थी। युवती ने कहा, ज्ञानेंद्र मिश्रा निर्दोष इंसान हैं। उन्होंने सिर्फ मुझे और मेरे परिवार की इज्जत बचाने की कोशिश की थी। उन्हें बेवजह फंसाया जा रहा है।
घटना वाले दिन के बारे में युवती ने विस्तार से बताया। उसने कहा कि दुर्गेश लगातार फोन कर रहा था और जब परिवार ने उसे रोकने की कोशिश की तो वह गड़ासा लेकर घर में घुस आया। गांव में अपनी इज्जत बचाने के लिए मामला पोखरे (तालाब) किनारे सुलझाने की कोशिश की गई। वहां हाथापाई भी हुई, युवती ने बताया कि पोखरे से ही मेरे घर वालों ने ज्ञानेन्द्र मिश्रा को फोन किया तो उन्होंने कहाकि उसको लेकर वहीं रूको मैं आ रहा हूं, अंत में दुर्गेश ने सबके सामने माफी मांगी और बुलेट से चला गया। युवती के अनुसार, इसके बाद ही उसने आक्रोश में जाकर जहर खा लिया। किसी ने उसकी हत्या नहीं की। युवती का कहना है कि वह सिर्फ इतना चाहती है कि निर्दोष लोगों को फंसाया न जाए। उसने कहा, मैं एक बेबस लड़की हूं जिसने अपनी इज्जत बचाने के लिए हर संभव कोशिश की। लेकिन आज मेरे परिवार को ही दोषी ठहराया जा रहा है। मुझे न्याय चाहिए।

