आजमगढ़ में 3 करोड़ की ठगी का खुलासा

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कोऑपरेटिव सोसाइटी के नाम पर संगठित गिरोह ने 150 लोगों को जाल में फंसाया
आजमगढ़। जिले में एक बड़े ठगी के मामले का खुलासा हुआ है। यहां के पांडे बाजार निवासी अरविंद जायसवाल ने एलयूसीसी (द सोनी अर्बन मल्टी स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी) कंपनी के अधिकारियों और जोनल हेड्स पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई है। आरोप है कि कंपनी के नाम पर संगठित गिरोह ने आकर्षक ब्याज दरों का लालच देकर करीब 150 लोगों से 3 करोड़ रुपये ठग लिए। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
अरविंद जायसवाल ने अपनी शिकायत में बताया कि वर्ष 2014 में उनके मामा ससुर शत्रुघ्न प्रसाद (सोनभद्र निवासी) और उमेश चंद्र (मऊ निवासी), जो कंपनी के जोनल हेड थे, उनके घर आए। उन्होंने कंपनी की विभिन्न स्कीमों के बारे में बताया, जैसे 1 साल की डीडी पर 5% ब्याज, 3 साल की आरडी पर 12% ब्याज, 2 साल की एफडी पर 7% ब्याज, 3.5 साल की एफडी पर 14% ब्याज और 5 साल की एफडी पर दोगुना रिटर्न। साथ ही, कंपनी का एटीएम कार्ड और बनारस जैसे शहरों में एटीएम मशीनें उपलब्ध होने का दावा किया। इस लुभावने ऑफर से प्रभावित होकर अरविंद ने कंपनी में पैसा निवेश किया। बाद में उनके भाई विजय जायसवाल और दोस्त आदित्य प्रसाद ने भी निवेश किया।
शिकायत के अनुसार, शत्रुघ्न प्रसाद और उमेश चंद्र ने अरविंद को बेरोजगार बताते हुए कंपनी की फ्रेंचाइजी लेने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि 2 लाख रुपये देकर फ्रेंचाइजी मिल जाएगी और ट्रेनिंग से लेकर सब कुछ कंपनी संभाल लेगी। अरविंद ने 2 लाख रुपये कैश दिए और 1 जून 2016 को फ्रेंचाइजी के दस्तावेज मिले। इसके बाद उन्होंने दुकान किराए पर ली और उद्घाटन समारोह में कंपनी के डायरेक्टर समीर अग्रवाल (महाराष्ट्र निवासी), आरती बंसल, अनुराग बंसल, सबाब हुसैन (उरई निवासी), आरके सेट्टी, संजय मुदगिल और राजेश टैगोर शामिल हुए। कंपनी का सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया गया और कोड UP-39 दिया गया।
शुरुआत में सब कुछ सामान्य रहा। पैसे कंपनी के बैंक खातों में जमा होते रहे, जिसमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की हीरापट्टी शाखा से बैंक ऑफ इंडिया के खाते में ट्रांसफर शामिल थे। लेकिन 26 नवंबर 2024 को कंपनी का सॉफ्टवेयर अचानक बंद हो गया। अरविंद ने शत्रुघ्न प्रसाद और उमेश चंद्र से संपर्क किया तो उन्होंने ट्रैफिक ज्यादा होने का बहाना बनाया और कहा कि जल्द ठीक हो जाएगा। बाद में संपर्क करने पर आरोपियों ने गाली-गलौज की और जान से मारने की धमकी दी।
अरविंद का आरोप है कि यह सभी आरोपी एक संगठित गिरोह हैं, जो फर्जी दस्तावेजों और झूठे वादों से भोले-भाले लोगों को फंसाते हैं। उन्होंने थाने में शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। फिर पुलिस अधीक्षक को रजिस्टर्ड पोस्ट से सूचना दी, लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार, 6 मार्च 2025 को सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना-पत्र दाखिल किया। कोर्ट के आदेश पर 13 सितंबर 2025 को कोतवाली थाने में FIR दर्ज हुई, जिसमें धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (विश्वासघात) और अन्य संबंधित धाराएं जोड़ी गई हैं।

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