आजमगढ़: ऑपरेशन के बाद महिला की हुई मौत

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परिजनों ने किया हंगामा, दो लाख में हुआ समझौता
रिपोर्ट : आरपी सिंह
आजमगढ़ : जिले के फूलपुर थाना क्षेत्र के जगदीशपुर निवासी माधुरी विश्वकर्मा उम्र 41 वर्ष, पत्नी संदीप विश्वकर्मा का यश्लोक अस्पताल व नर्सिंग होम में पित्त की थैली में पथरी के ऑपरेशन के कुछ देर बाद मृत्यु हो गई। परिजनों ने अस्पताल और डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। मौके पर पहुंची पुलिस और क्षेत्र के प्रभावशाली व्यक्तियों ने कथित तौर पर दो लाख रुपये में समझौता करा दिया।
जानकारी के अनुसार, माधुरी विश्वकर्मा को पित्त की थैली में पथरी की शिकायत थी, जिसके लिए 16 अगस्त को यश्लोक अस्पताल में डॉ. एम.जेड. सिद्दीकी द्वारा उनका ऑपरेशन शनिवार को 3 बजे करीब किया गया। परिजनों का आरोप है कि ऑपरेशन के बाद उनकी हालत बिगड़ती गई, और रविवार तड़के चार बजे उनकी मृत्यु हो गई। आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया। स्थानीय लोगों और परिजनों का कहना है कि यश्लोक अस्पताल में अनुभवहीन डॉक्टर और कम्पाउंडरों की देखरेख में मरीजों का इलाज किया जाता है, जिसके चलते इस तरह की घटनाएं सामने आती रहती हैं। परिजनों ने यह भी बताया कि ऑपरेशन से पहले मरीज की पूरी जांच नहीं की गई, जिसके कारण जटिलताएं बढ़ीं।
घटना की सूचना पर फूलपुर पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। परिजनों के अनुसार, पुलिस और स्थानीय प्रभावशाली लोगों ने मिलकर दो लाख रुपये में समझौता करा दिया। इस मामले में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
बताते चलें कि क्षेत्र में इस तरह की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। फूलपुर तहसील मुख्यालय के आसपास कई निजी अस्पतालों में कथित तौर पर सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टर अतिरिक्त फीस लेकर ऑपरेशन करते हैं। अनुभवहीन स्टाफ और अपर्याप्त जांच के कारण मरीजों की जान जोखिम में पड़ रही है। इसके बावजूद, स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों की चुप्पी और निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं। इस बाबत फूलपुर पुलिस से जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
क्षेत्रीय संयोजक भारतीय जनता पार्टी गोरखपुर क्षेत्र रमाकांत मिश्र ने इस मामले को लेकर कहा कि मैंने प्रमुख सचिव से बात किया है, उन्होंने सीएमओ से इस मामले में कार्रवाई करने की बात कही है, कोई भी घटना पैसे के बल पर दबाई नहीं जा सकती, पूरे जिले में ऐसे अवैध अस्पताल धड़ल्ले से चल रहे हैं, इसमें कहीं न कहीं सरकारी स्वास्थ्य महकमे का भी हाथ है। अस्पताल और संचालक के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

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