पूर्व ब्लाक प्रमुख भी रहे गैंग के निशाने पर
रिपोर्ट : वेद प्रकाश सिंह 'लल्ला'
आजमगढ़। काली पासी गैंग के सफाए के बाद इस गिरोह के उन कारनामों से भी पर्दा उठने लगा है। जरायम की दुनिया में नाम कमाने के लिए इस गिरोह ने बड़े नेताओं और अपराधियों को टपका कर अपने गिरोह को अपराध जगत में बड़ा नाम बनाने का मंसूबा पाल रखा था। वह तो इनकी योजना का राज गिरोह के सदस्य राज श्रीवास्तव की वजह से खुल गया और वारदात से पहले ही गिरोह के सरगना समेत तीन बदमाशों के मार दिए जाने से एक बड़ी वारदात टल गई। हुआ यूं कि गैंग लीडर काली पासी ने अपराध की दुनिया में बड़ा नाम कमाने की योजना अपने साथियों के साथ बनाई और इस गिरोह के निशाना पर रहे मऊ जिले के रानीपुर ब्लाक के प्रमुख रहे अरुण कुमार सिंह तथा जिले के तरवां क्षेत्र के जमुआं गांव निवासी माफिया अखंड सिंह। पासी बिरादरी से दुश्मनी के कारण काली गैंग ने पहले अखंड सिंह को मारने तथा सिर काट कर गांव में घुमाकर अपना आतंक कायम रखने का मन बना लिया। वर्ष 2010 में अखंड सिंह को मारने के लिए कई दिनों से रेकी कर रहे गिरोह को जानकारी हुई कि वह 27 मई 2010 को किसी खास व्यक्ति के यहां आयोजित शादी समारोह में शामिल होने जरुर जाएंगे। बस काली पासी गिरोह को यह अवसर मुफीद लगा अखंड सिंह पर हमला बोलने का और इसके लिए उसने अपने साथियों में लंबे कद-काठी के रहे शेषनाथ चौहान,राज श्रीवास्तव, राजू यादव तथा पंकज यादव को हमले के लिए तैयार किया। योजना के अनुसार काली पासी नेता और उसके चारों साथी सुरक्षा गार्ड की वेशभूषा में उस शादी समारोह में पहुंच कर अखंड सिंह पर हमला करने की योजना बना चुके थे। इसी बीच गिरोह का सदस्य राज श्रीवास्तव जिले की एसओजी टीम के प्रभारी रहे पुलिस इंस्पेक्टर विजय सिंह के हाथ लग गया। उससे की गई पूछताछ में मिली जानकारी के बाद पुलिस टीम में शामिल कमलेश सिंह व विजय कुमार सिंह आदि ने अखंड सिंह पर हमला करने से पूर्व गैंग लीडर काली पासी को मुठभेड़ में ढेर कर गिरोह के मंसूबे पर पानी फेर दिया।
इतना ही नहीं मथुरा जिले में सात मई को एसटीएफ के हाथों मारे गए एक लाख के ईनामी बदमाश पंकज यादव ने माफिया मुख्तार अंसारी के यह कहने पर कि बिहार के बाहुबली शहाबुद्दीन के साथ काम करने पर कार्बाइन व पिस्टल जैसे बड़े हथियार की उपलब्धता के बाद गिरोह को अन्य बड़े हथियार उपलब्ध कराए जाने की हामी भरी गई तो गिरोह का मनोबल और बढ़ गया। इस गिरोह के पंकज यादव और सुमित सिंह उर्फ मोनू चवन्नी ने बिहार के छपरा (सारण) जिले के भगवानपुर थाना क्षेत्र में गश्त पर निकले मोबाइल दस्ते में शामिल एक पुलिसकर्मी की हत्या कर उनकी नाइन एमएम पिस्टल लूट लिया था। इतना ही नहीं मुख्तार गैंग द्वारा गाजीपुर में तैनात एक दरोगा से चुराई गई नाइन एमएम पिस्टल भी इन अपराधियों को मुहैया कराई गई थी। ठेकेदार मन्ना सिंह हत्याकांड में लूटी गई लाइसेंसी रिवाल्वर इस गिरोह के पास थी जो बाद में मुठभेड़ में मारे गए काली पासी राज श्रीवास्तव तथा शेषनाथ चौहान के पास से बरामद हुई थी।खैर कहते हैं कि दूसरे की कब्र खोदने वाले की कब्र उपर वाले खोद देते हैं और इसी तरह विधाता ने गिरोह की कब्र खोदी और एक एक करके गिरोह के सभी बदमाश असमय काल के गाल में समा गए। इसी को कहते हैं कि बुरे काम का बुरा नतीजा।