देवरिया हत्याकांड के बाद आया तहसीलदार का फैसला

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मृतक प्रेमचंद यादव की हुई जीत

गोरखपुर। देवरिया में जिस जमीन को लेकर फतेहपुर गांव के पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेम यादव सहित छह लोगों की सामूहिक हत्या का मामला सुर्खियों में है। उसी जमींन के खारिज दाखिल के वाद में भाटपाररानी के तहसीलदार ने वादी और आपत्तिकर्ता की मौत के बाद फैसला सुनाकर एक बार फिर चर्चाओं का माहौल गरमा दिया है। भाटपाररानी के तहसीलदार चंद्रशेखर वर्मा ने 13 अक्तूबर को अपने आदेश में मृतक प्रेमचंद यादव के पक्ष में फैसला देते हुए राजस्व निरीक्षक को उनके वारिसों का नामांतरण करने का निर्देश दिया है। तहसीलदार कोर्ट में प्रेमचंद यादव व रामजी यादव ने पांच जुलाई 2014 को एक नामांतरण वाद दाखिल किया था। प्रेमचंद, रामजी बनाम ज्ञानप्रकाश दुबे के खारिज दाखिल के वाद में केहुनिया गांव के मूल निवासी सत्यप्रकाश दुबे ने आपत्ति दाखिल किया था। आपत्ति में सत्यप्रकाश ने बताया था कि ज्ञानप्रकाश उनके सगे भाई हैं, जो कमजोर दिमाग के हैं। प्रेम प्रकाश और उनके भाई ने उन्हें बहला फुसला कर रुद्रपुर और भाटपाररानी तहसील स्थित पैतृक जमीनों का बिना रुपये दिए बैनामा करा लिया है। उन्होंने जमीन के बैनामा दस्तावेज में सत्यप्रकाश के हिस्से की जमींन भी लिखवा ली है। सत्यप्रकाश की आपत्ति पर नौ साल से सुनवाई चल रही थी। इसी बीच दो अक्तूबर को सामूहिक हत्याकांड में प्रेमचंद यादव और आपत्तिकर्ता सत्यप्रकाश दुबे की हत्या हो गई। सत्यप्रकाश और उनके परिवार के पांच लोगों की सामूहिक हत्या का मामला करीब 15 दिनों तक पूरे प्रदेश में सुर्खियों में रहा। वादी और आपत्तिकर्ता की हत्या के बाद तहसीलदार न्यायालय से मृतक प्रेमचंद यादव और रामजी यादव के पक्ष में आदेश पारित होने के बाद एक बाद फिर मामला गरमाता नजर आ रहा है। कानून के जानकार तहसीलदार के फैसले को त्रुटिपूर्ण बता रहे हैं।

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