यूपी में एक और माफिया का जेल में ही हुआ अंत

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सलाखों के पीछे डेढ़ दशक पुराने आपराधिक साम्राज्य का हुआ खात्मा
अंबेडकर नगर। सूबे में सत्ता परिवर्तन के साथ ही माफिया खान मुबारक के साम्राज्य की उल्टी गिनती शुरू हो गई। हालांकि बेखौफ माफिया ने इसके बाद भी रंगदारी आदि की कई घटनाओं को अंजाम दिया लेकिन उसके साम्राज्य को ध्वस्त करने की कोशिशें भी तेजी से होती रहीं। इसका असर यह हुआ कि करोड़ों रुपये की उसकी अचल संपत्ति को या तो जमींदोज कर दिया गया या फिर कुर्क कर लिया गया।
माफिया खान मुबारक ने वर्ष 2012 से 2017 तक अंबेडकरनगर जिले में हददर्जें तक रंगदारी, भूमि कब्जे तथा हत्या व जानलेवा हमले की घटनाओं को खूब अंजाम दिया। यह वह दौर था जब उसके अपराध की यहां तूती बोल रही थी। पुुलिस प्रशासन भी रस्मी कार्रवाई तक ही सीमित था। इसके बाद सूबे में सत्ता का परिवर्तन हुआ। माफिया खान मुबारक ने इसके बाद भी अपराध का दौर कम नहीं किया।
जेल भेज जाने के बाद भी उसने रंगदारी मांगने का दुस्साहस जारी रखा। सरकार बदलने के बाद उसे भले ही कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन उस पर अंकुश लगाने की मुहिम तेजी से शुरू हुई। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र कुमार मिश्र व आलोक प्रियदर्शी के दौर में माफिया के विरुद्ध ज्यादा बड़ी कार्रवाई हुई। करोड़ों रुपये की उसकी जमीन कुर्क कर ली गई। हंसवर व अन्य क्षेत्रों में बने घरों व प्रतिष्ठानों को ध्वस्त कर दिया गया। लखनऊ में एक आलीशान फ्लैट भी पुलिस ने कुर्क कर लिया। उसके गुर्गों पर शिकंजा कसने के साथ साथ उनकी भी संपत्तियों को या तो कुर्क किया गया या फिर जमींदोज कर दिया गया। माफिया व उसके गुर्गों पर पिछले तीन चार वर्षों के दौरान खूब शिकंजा कसा गया। वर्ष 2018 से जेल में बंद माफिया खान मुबारक इन दिनों हरदोई जेल में बंद था।
जेल में रहने के दौरान भी पुलिस से बेखौफ रहने वाला माफिया सरगना खान मुबारक अंतत: बीमारी से हार गया। सोमवार को सलाखों के पीछे माफिया के डेढ़ दशक पुराने आपराधिक साम्राज्य का अंत हो गया। प्रदेश के टॉप टेन बदमाशों की सूची में शामिल खान मुबारक पर अलग-अलग जनपदों में कुल चार दर्जन मुकदमेे दर्ज थे। हत्या, लूट जैसी घटनाएं कर गैंगस्टर बने खान मुबारक ने फिरौती, रंगदारी व जमीनों पर कब्जे पर अकूत संपत्ति बनाई थी।
हंसवर थाना क्षेत्र के हरसम्हार गांव निवासी खान मुबारक ने अपराध जगत का सफर तेजी से तय किया। यूं तो उसके आपराधिक सफर की शुरुआत प्रयागराज से हुई लेकिन वर्ष 2012 के बाद से उसने अंबेडकरनगर को अपराध का केंद्र बना लिया। यहां उसने ताबड़तोड़ कई घटनाएं करके अपना नाम मोस्ट वांडेट अपराधियों की सूची में दर्ज कर लिया। बसपा नेता जुरगाम मेहंदी व उनके चालक शुभनीत यादव की हत्या करके उसने सनसनी फैला दी। ईंट भट्ठा व्यवसायी ऐनुद्दीन की हत्या करके उसने और दबंगई कायम की।
इसके बाद जमीनों पर कब्जे, रंगदारी वसूलने और फिरौती की कई घटनाएं करके उसने अकूत संपत्ति अर्जित की। वह लोगों को डरा धमकाकर कीमती संपत्तियां सस्ते दामों में अपने गुर्गों के नाम लिखवाने लगा। उसके डर की वजह से पीड़ित लोग केस दर्ज कराने पुलिस तक नहीं पहुंचते। इस खौफ के चलते अपराध की दुनिया में वह तेजी आगे बढ़ा। उसकी गतिविधियों के चलते प्रयागराज के साथ ही खान मुबारक का खौफ पूर्वांचल के कई जिलों में छाया रहा।

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