एक ही राह पर अखिलेश और मायावती

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ओमप्रकाश राजभर ने इस पार्टी को दिया बड़ा फायदा पहुंचाने का संकेत
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में भले ही अभी एक साल से ज्यादा का समय बाकी हो लेकिन मिशन 2024 को लेकर सभी पार्टियों ने अभी से जीत की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। बसपा और या सपा ? सभी पार्टियों ने भाजपा को घेरने के लिए अपने-अपने तरीके से समीकरण तैयार करने में जुटे हैं। हालांकि तीनों पार्टियां इन दिनों एक ही रास्ते पर चलते दिख रही हैं। इसको लेकर बसपा और सपा की चर्चा ज्यादा है। बतादें कि 2017 में कांग्रेस से गठबंधन और 2022 में सुभासपा से गठबंधन के बाद भी चुनाव में हार को लेकर सपा ने आने वाले चुनावों में किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करने का फैसला किया है। पिछले दिनों पूर्वांचल दौरे पर निकले अखिलेश ने इसको लेकर स्थिति भी साफ कर दी थी।
उन्होंने कहा था कि सपा पुराने सहयोगियों को साथ लेकर चलेगी। वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने भी अपने जन्मदिन पर लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करने का ऐलान कर चुकी हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो एक ही राह पर चल रही बसपा और सपा के इस फैसले से सबसे ज्यादा फायदा भाजपा को मिल सकता है। पूर्वांचल में भाजपा को लाभ दिलाने में सुभासपा बड़ी मददगार बन सकती है। भाजपा के खिलाफ विपक्षी पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ती हैं तो फिर राज्य में भाजपा अपने पुराने प्रदर्शन को एक बार फिर दोहरा सकती है।
जानकार बताते हैं कि एक सर्वे में साफ हुआ है कि भाजपा को उत्तर प्रदेश में 80 से 70 सीटें इस बार मिलती दिख रही हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव में भाजपा का सुभासपा के साथ गठबंधन होने की संभावना भी जताई जा रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और ओम प्रकाश राजभर के बयानों देखते हुए इसका अंदाजा लगाया जा रहा है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो अगर भाजपा और सुभसपा में गठबंधन होता है तो भाजपा को पूर्वांचल में इसका सीधा फायदा मिल सकता है।
अपने जन्मदिन के मौके पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव और इसी साल कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी किसी से गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने कहा था कि गठबंधन से उन्हें नहीं बल्कि दूसरों को फायदा होता है। उनका वोट तो दूसरी पार्टियों को मिल जाता है, लेकिन बसपा को नहीं मिलता है।

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