आजमगढ़: अईसन का गलती हो गईल हाकिम, लईका के दवाई ना ले पाइब

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मजबूरी को छोड़ अपना कोटा पूरा करने में जुटा यातायात विभाग
रिपोर्ट-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’
आजमगढ़। जनपदवासियों को लंबे समय से यातायात नियमों का पाठ पढ़ाने वाली पुलिस नए साल पर गणेश चौथ (चतुर्थी) के ग्यारहवें दिन यानी बुधवार को लगता है गुस्से में आ गई। लेकिन आजमगढ़ी भी अपनी धुन के पक्के हैं। हम तो कंपनी बाग में हिंदी फिल्म हम नहीं सुधरेंगे और भोजपुरी में बकलोल बबुआ की शूटिंग शुरू कर दिए हैं। खैर बात पर आते हैं नए साल की पूर्व संध्या पर हुड़दंगियों पर नजर रखे जाने की हिदायत देने के बाद सबक सिखाने उतरी खाकी ने 791 वाहनों का ई-चालान करते हुए दो वाहनों को सीज कर दिया। नए साल की शुरुआत कोहरे और शीतलहर से हुई और यह क्रम आज तक बदस्तूर जारी है। नए साल के पहले दिन पुलिस ने पुलिस ने नरमी दिखाई और ई- चालान का ग्राफ गिरकर 568 वाहनों का ई-चालान और तीन वाहन सीज किए गए। दूसरे दिन खाकी तऊवा गई और 817 का चालान काटा गनीमत रही एक वाहन सीज किया गया। इसी तरह तीन जनवरी को 689 चालान और एक वाहन सीज, चार को 773/6, पांच को 748/2, छः को 491, 7 जनवरी को 850, 8 जनवरी को 632/1, सीज वाहन शुन्य नौ तारीख को 515 तो दस जनवरी को केवल 563 वाहनों का ई-चालान कर शमन शुल्क के रूप में सरकार का खजाना भरने में भी पुलिस ने अपना सहयोग किया। सुना है कि लक्ष्मी का दर्शन कराने के एवज में सरकार यातायात विभाग को कुछ प्रतिशत नज़राना अरे नहीं शुकराना भेंट करती है। तो क्यूं नहीं सफेद -नीले और साथ खाकी वर्दी धारण किए जवानों का मिज़ाज गरम रहे। हाड़ कंपाती ठंड में सड़क पर खड़े हैं तो आपको कानून की बात समझाने के लिए न। रतिया भर सड़क पर एक ठो गरम वर्दी के सहारे आपकी सुरक्षा में तो रहते हैं कहीं थोड़ा सा चल-बिचल पड़ गया तो राई को पहाड़ बना देंगे। खैर मौसम की बेवफाई के साथ बुधवार यानी ग्यारह जनवरी को पुलिस विभाग ने गरम तेवर दिखाते हुए 813 वाहनों का ई-चालान तो दो वाहनों को सीज कर गलत तरीके से वाहन संचालन करने वाले लोगों को कड़ा सबक सिखाया। हां असली बात तो भूल गया था माफी, बुधवार की दोपहर करीब 12 बजे एक सफेद और नीली वर्दी धारण किए एक जांबाज जवान ने बगैर हेलमेट लगाए बाइक सवार को रोका और मोबाइल से फोटो लेने लगा। गाड़ी गिरने की परवाह छोड़ युवक बगैर स्टैंड लगाए लपक कर उनके आगे बढ़ा और हाथ जोड़कर कहा ‘अईसन का गलती हो गईल हाकिम, चालान कइ देबा त लईका के दवाई ना ले पाइब हाकिम’ इस शब्द कलेजे में तीर की तरह चुभने लगे। खैर कुछ ज्यादा समझाने की जिम्मेदारी हमारी ही नहीं।

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