आजमगढ़: अफ्रीकी देश में बंधक बने जनपद के तीन युवकों की हुई वतन वापसी

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यातना से मुक्ति की मन्नत पूरी होने पर पहुंचे अयोध्या धाम, दर्शन कर लौटे घर

रिपोर्ट-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’

आजमगढ़। परिवार की माली हालत सुधार करने की गरज से अफ्रीकी देश इथोपिया में 9 माह पूर्व कमाने गए जनपद के तीन युवक यातना से भरी जिंदगी से मुक्ति पाने के लिए विदेश मंत्रालय में गुहार लगाई भारतीय दूतावास के प्रयास से मुक्त हुए तीनों युवक मन्नत पूरी होने पर वतन वापसी के दौरान अयोध्या धाम स्थित रामलला के दर्शन के दर्शनोपरांत गुरुवार को नगर की सीमा पर बाबा भंवरनाथ के दरबार में माथा टेक हर्षित भाव से अपने घर लौटे। उनके घर पहुंचने पर परिवार में खुशी का माहौल व्याप्त है।

बताते हैं कि जनपद के सगड़ी तहसील अंतर्गत बेलकुंडा ग्राम निवासी संजय कुमार मिश्र वह जुड़ा रामपुर निवासी संदीप सिंह तथा निजामाबाद तहसील क्षेत्र के चंदा भारी ग्राम निवासी राजबहादुर चौबे बीते 9 मार्च को गाजियाबाद जिले की प्रीत मशीनरी रोलिंग मशीन की ओर से अफ्रीकी देश इथोपिया भेजे गए थे। वहां की थदास स्टील कंपनी द्वारा इन कामगारों के लिए वीजा उपलब्ध कराया गया था। अनुबंध के अनुसार इन तीनों कामगारों को 3 महीने बाद जून माह में वापस लौटना था। समयावधि समाप्त होने पर वहां की कंपनी ने इन तीनों का वीजा और पासपोर्ट अपने कब्जे में ले लिया। इतना ही नहीं इन तीनों के साथ ही बलिया जनपद तथा छत्तीसगढ़ प्रांत के रहने वाले युवक समेत पांच लोगों को वहां बंधक बना लिया गया। बाद सभी के साथ कंपनी द्वारा यात्रा पूर्ण व्यवहार करते हुए 15 घंटों तक काम लिया जाने लगा। अपनी मुक्ति के लिए छटपटा रहे इन युवकों ने किसी तरह अपने बंधक बनाए जाने की जानकारी परिजनों को दी। विदेश में यातनापूर्ण जिंदगी जी रहे लोगों के परिजनों ने इस संबंध में विदेश मंत्रालय एवं भारतीय दूतावास से संपर्क साधा। इसके बाद बंधक बनाए गए युवकों के मुक्ति की राह खुली और सभी की वतन वापसी संभव हो सकी। गुरुवार को अपने देश की धरती पर उतरे सभी युवकों के चेहरे पर खुशी के आंसू छलक पड़े। यातना पूर्ण जिंदगी से मुक्ति पाने के लिए मांगी गई मन्नत को पूरी करने के उद्देश्य से जिले के तीनों युवक सर्वप्रथम अयोध्या धाम पहुंचकर रामलला एवं रामदूत हनुमान के दर्शन पूजन के बाद गृह जनपद लौटे। गुरुवार की शाम नगर की सीमा पर स्थित बाबा भंवर नाथ के चरणों में शीश नवाकर सभी हंसी-खुशी अपने घर को रवाना हुए। घर वापसी से पूर्व अपने वतन लौटे इन तीनों युवकों ने बताया कि वहां उन्हें भोजन के नाम पर रोटी-चटनी और रोटी-प्याज खाकर जीवन गुजारना पड़ा। इतना ही नहीं बीमार होने पर दवा और टूथपेस्ट के लिए भी उन्हें तरसना पड़ा। मुक्त होकर घर लौट आने पर तीनों युवकों के परिवार में हर्ष का माहौल है।

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