वकील ने पत्नी के सीने में उतारी गोलियां

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बच्‍चे बोले-कभी पापा को नहीं करेंगे माफ
लखनऊ। लखनऊ के ठाकुरगंज कैम्पबेल रोड पर शराब पीने से मना करने पर वकील अशोक चौरसिया ने पत्नी पुष्पा चौरसिया (42) की गोली मार कर हत्या कर दी। वारदात मंगलवार दोपहर में हुई। गोली चलने की आवाज सुन कर बच्चे बरामदे में पहुंचे जहां पुष्पा खून से लथपथ मिली। मां की हालत देख बेटी आद्या ने बिलखते हुए कहा कि पापा को कभी माफ नहीं करेंगे। उसके यह शब्द सुन कर पड़ोसियों की आंखे भी नम हो गईं। कह रही थी कि पापा नशे में होने के बाद हम लोगों को पीटते थे। मां ही थी जो हमारी ढाल बन कर सामने आ जाती थी। वह पापा के जुल्म सहने को विवश थी। अब तो मां भी नहीं रही। हमारे कौन सहारा देगा।
अशोक वहीं अपनी लाइसेंसी बन्दूक लिए खड़ा था। वह बच्चों को धमकाने लगा। इस बीच मंझले बेटे ने ही पुलिस कन्ट्रोल रूम में सूचना दे दी। पुलिस ने अशोक को गिरफ्तार कर लिया। उधर पड़ोसियों की मदद से पुष्पा को ट्रॉमा सेन्टर ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
गोविंदपुरम निवासी अशोक चौरसिया हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं। प्रैक्टिस सही नहीं चलने के कारण अशोक ने वकालत छोड़ दी थी। मौजूदा वक्त में वह ईंट सप्लाई कर रहा था। परिवार में पत्नी पुष्पा, अर्पित (19) और बेटी आद्या (15) हैं। बड़ा बेटा अभय (22) दिल्ली में रह कर पढ़ाई करने के साथ ही निजी कम्पनी में नौकरी करता है। अशोक शराब पीने का आदी है। नशे में धुत होने के बाद वह कई बार पत्नी और बच्चों की पिटाई कर चुका है।
बिल्डिंग निर्माण सामग्री सप्लाई करने वाला अशोक चौरसिया शराब का लती है। मंगलवार सुबह नींद खुलने के थोड़ी देर बाद ही वह शराब की बोतल लेकर बैठ गया था। पत्नी पुष्पा ने कई बार शराब नहीं पीने के लिए कहा। यह बात अशोक को नागवार गुजरी।
उसने 12 बोर की लाइसेंसी बंदूक से पत्नी के सीने में गोली मार दी। वह खून से लथपथ होकर गिर पड़ी। पुष्पा की चीख और गोली सुनने की आवाज से पड़ोसी भी दहशत में आ गए। मकान में घुसने पर पुष्पा खून से लथपथ दर्द से कराह रही थी। बेटा अर्पित और बेटी आद्या मां को संभाल रहे थे। पड़ोसियों की मदद से पुष्पा को ट्रामा सेंटर में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
अशोक के पिता भृगुनाथ चौरसिया ने दो शादियां की थीं। पहली पत्नी से अशोक और दूसरी पत्नी फूलमती से बेटा आनन्द हैं। पुलिस के मुताबिक दोनों भाइयों के बीच बातचीत नहीं होती है। आनन्द मां के साथ निचले हिस्से में रहता है। अशोक का परिवार पहली मंजिल पर रहता है। आवाज सुन कर आनन्द भाग कर ऊपरी मंजिल की तरफ गए।

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